सिंचाई के लिए मोटर चलवाने की झंझट है! बिजली की टेंशन डीजल की झंझट गैस के दाम और भी कई सारे लफड़े। अब सिंचाई को लेकर आप को भी मिल सकती है इन सभी झंझटों से फुर्सत। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा भला कैसे होगा। बिजना बिजली डीजल या गैस के सिंचाई का पम्‍प कैसे चलेगा। बिल्‍कुल चलेगा। इसके लिए आपकी मदद की है पूर्व चंपारण के कल्‍याणपुर थाने में पदस्‍थापित जमादार मेहीलाल यादव ने।

ऐसे बनाया झूला पंप
मेहीलाल यादव ने पानी निकालने के लिए झूला पंप बनाया है। इस झूला पंप की खासियत ये है कि इसपर बच्चे झूला झूलते रहेंगे और पंप से पानी निकलता रहेगा। कुला मिलाकर बिना किसी खर्चे के इस झूला पंप से खेतों की सिंचाई की जा सकती है। इस पंप को लेकर बताया गया है कि इससे प्रति घंटे 10 हजार लीटर पानी निकाला जा सकता है। इससे लागत भी बेहद कम आएगी।

इससे पहले मेहीलाल कर चुके हैं ऐसा

बता दें कि इससे पहले मेहीलाल ने गैस सिलेंडर से पानी निकालने की राह निकाली थी। वहीं अब इन्होंने बेहद कम खर्च में पानी के इंतजाम का यंत्र बना डाला है। खडगिया जिले के बापूनगर में रहने वाले मेहीलाल यादव भागलपुर जिला बल में बहाल हुए। 2007 में कटिहार जिले में वह तैनात थे। वहां पर इन्होंने किसानों को डीजल और पेट्रोल की व्यवस्था करने के लिए गैलन लेकर भटकते और परेशान होते देखा।
इतनी आई लागत
फिर क्या था, सोची ली इन्होंने किसानों की मदद करने की। आखिरकार बगैर ईंधन से संचालित होने वाले झूला पंप का निर्माण कर दिया। फिलहाल मेहसी लीची अनुसंधान केंद्र में एक झूला पंप अभी इस्तेमाल में लाया जा रहा है। इस झूला पंप की लागत को लेकर बताया गया है कि इसमें करीब 25 हजार रुपये की लागत आती है।
बनाने में किया इन सब चीजों का इस्तेमाल
इसको लेकर आगे उन्होंने बताया कि झूला पंप बनाने के लिए चापाकल के हेड, सेक्शन पाइप, साइकिल पाइप, वॉशर और रॉड का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें करीब 25 हजार रुपये की लागत आती है। इसके बाद ये बगैर ईंधन के संचालित होता है। किसी भी भूगर्भीय जलस्त्रोत से पंप को पाइप के सहारे बिल्कुल पंप सेट की तरह जोड़कर झूले पर झूलना शुरू करने पर पानी मिलने लगता है।      
दो लोगों की पड़ती है जरूरत
इसपर झूलने के लिए दो लोगों की जरूरत होती है। इसके अलावा एक तरफ किसी को बैठाकर और दूसरी ओर पत्थर या कोई भारी वस्तु रखकर भी इसको चलाया जा सकता है। अब ये निर्भर करता है जलस्त्रोत पर। जैसा जलस्त्रोत होगा, वैसा ही पानी भी मिलेगा।
ऐसा कहते हैं अधिकारी
सूबे में इस योजना व विकास विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. अरड्क्षवद कुमार ने 2015 नवंबर में मेहीलाल का पत्र लिखकर स्टेट इनोवेशन काउंसिल की ओर से मुख्यमंत्री नवप्रवर्तन प्रोत्साहन योजना से वित्तीय सहायता प्रदान करने को कहा है। इसके पहले केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. आर चिदंबरम ने 2007, पूर्णिया के तत्कालीन आयुक्त पंकज कुमार 2013 और कटिहार के तत्कालीन जिलाधिकारी व सांसद ने सम्मानित किया था।
बोले एसपी
पूर्वी चम्पारण के एसपी जितेंद्र राणा ने कहा कि पुलिस विभाग में बड़ी मुश्किल से वक्त मिल पाता है। कम समय में भी जमादार ने जो प्रयास किया है, वह वाकई सराहनीय है। इस तरह से बेहतर शोध के लिए उन्हें राज्य स्तर से इनाम दिलाने की दिशा में पहल की जाएगी।

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Posted By: Ruchi D Sharma