सावन के महीनों में प्रत्येक त्यौहार का अपना महत्व होता है। इन्हीं में से एक नाग पंचमी का त्यौहार है। इस साल नाग पंचमी शनिवार यानी 25 जुलाई को मनाई जा रही है। आएइ जानें पूजा मुहूर्त और विधि।

कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। प्रात:काल स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजा के स्थान पर कुश का आसन स्थापित करके सर्व प्रथम हाथ में जल लेकर अपने ऊपर व पूजन सामग्री पर छिड़कें, फिर संकल्प लेकर कि मैं कालसर्प दोष शांति हेतु यह पूजा कर रहा हूँ। अत: मेरे सभी कष्टों का निवारण कर मुझे कालसर्प दोष से मुक्त करें। तत्पश्चात् अपने सामने चौकी पर एक कलश स्थापित कर पूजा आरम्भ करें। कलश पर एक पात्र में सर्प-सर्पनी का यंत्र एवं कालसर्प यंत्र स्थापित करें, साथ ही कलश पर तीन तांबे के सिक्के एवं तीन कौडिय़ां सर्प-सर्पनी के जोड़े के साथ रखें, उस पर केसर का तिलक लगायें, अक्षत चढ़ायें, पुष्प चढ़ायें तथा काले तिल, चावल व उड़द का पका कर शक्कर मिश्रित कर उसका भोग लगायें, फिर घी का दीपक जला कर निम्न मंत्र का उच्चारण करें:-

ऊँ नमोस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथिवीमनु।
ये अंतरिक्षे ये दिवितेभ्य: सर्पेभ्यो नम: स्वाहा।।
राहु का मंत्र- ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:।

अब गणपति पूजन करें, नवग्रह पूजन करें, कलश पर रखीं समस्त नाग-नागिन की प्रतिमा का पूजन करें व रूद्राक्ष माला से उपरोक्त कालसर्प शांति मंत्र अथवा राहू के मंत्र का उच्चारण एक माला जाप करें। उसके पश्चात् कलश में रखा जल शिवलिंग पर किसी मंदिर में चढ़ा दें, प्रसाद नंदी (बैल) को खिला दें, दान-दक्षिणा व नये वस्त्र ब्राह्मणों को दान करें। कालसर्प दोष वाले जातक को इस दिन व्रत अवश्य करना चाहिए।
श्रावण मास की शुक्ल पंचमी को नाग पूजा का विधान है इस दिन पांचो नाग (अनन्त, वासुकी, तक्षक, कर्कोटक और पिंगल) की इसीलिए इसे नाग पूजा कहा जाता है।

कालसर्प दोष शांति मंत्र
ऊँ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि
तन्नो सर्प: प्रचोदयात्

ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा
बालाजी ज्योतिष संस्थान, बरेली

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari