सावन मास में पड़ने वाला नाग पंचमी का त्यौहार इस साल 25 जुलाई को पड़ रहा है। इस बार नागपंचमी में विशेष योग है जिसे 'शिवा योग' से जाना जा रहा। आइए जानें क्या है इसका महत्व और क्या मिलेगा फल।

कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। इस बार कालसर्प दोष शांति का विशेष फल मिलेगा क्योंकि नागपंचमी के दिन "शिवा योग" बन रहा है। अग्नि पुराण में लगभग 80 प्रकार के नाग कुलों का वर्णन मिलता है, जिसमें अनन्त, वासुकी, पदम, महापध, तक्षक, कुलिक, कर्कोटक और शंखपाल यह प्रमुख माने गये हैं। स्कन्दपुराण, भविष्यपुराण तथा कूर्मपुराण में भी इनका उल्लेख मिलता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहू के जन्म नक्षत्र "भरणी" के देवता काल हैं एवं केतु के जन्म नक्षत्र ' 'अश्लेषा के देवता सर्प हैं। अत: राहू-केतु के जन्म नक्षत्र देवताओं के नामों को जोड़कर "कालसर्प योग" कहा जाता है। राशि चक्र में 12 राशियां हैं, जन्म पत्रिका में 12 भाव हैं एवं 12 लग्न हैं। इस तरह कुल 144 = 288 कालसर्प योग घटित होते हैं।

इस बार नाग पंचमी होगी विशेष
इस बार नागपंचमी पर शुभ फल देने वाले उ.फा.नक्षत्र अपराह्न 2:18 बजे तक तत्पश्चात हस्त नक्षत्र,शिवा योग,अमृत सिद्ध योग एवं कन्या के चन्द्र के विशेष योग में मनायी जायेगी। कालसर्प दोष निवारण के लिए यह विशिष्ट दिन है। नागपंचमी के सिद्ध मुहुर्त प्रात: 7:23 से 09:04 बजे तक लाभ एवं अपराह्न 12:25 बजे से सायं 5:27 बजे तक चर,लाभ,अमृत के चौघडिय़ा मुहुर्त में कालसर्प शांति कराना अति उत्तम रहेगा। वर्ष के मध्य में कालसर्प योग जिस समय बने उस समय अनुष्ठान भी सर्वश्रेष्ठ रहता है। कालसर्प योग यज्ञ का आरम्भ या समाप्ति पंचमी, अष्टमी, दशमी या चुतुर्दशी तिथि वार चाहें जो भी हो, भरणी, आद्र्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, उत्तराषाढ़ा, अभिजित एवं श्रवण नक्षत्र श्रेष्ठ माने जाते हैं। परन्तु जातक की राशि से ग्रह गणना का विचार करना परम आवश्यक होता है।

ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा
बालाजी ज्योतिष संस्थान, बरेली

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari