-मां गंगा के आंचल में पाप धोए, गंदगी नहीं

PRAYAGRAJ: स्वच्छता को लेकर भले ही आज के समय में लोग जागरूकता बढ़ाने की बात कर रहे हैं। लेकिन सनातन धर्म हमेशा से स्वच्छता का संदेश देता रहा है। खासतौर पर मां गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए सनातन धर्म के संत हमेशा से लोगों को जागरूक करते रहे हैं। कुंभ नगरी प्रयागराज में इस बार भी ऐसा ही नागा सन्यासी लोगों को स्वच्छता का संदेश देते हुए दिखे। संगम पर दूसरे शाही स्नान के अवसर पर त्रिवेणी के तट पर पहुंचे नागा संन्यासियों ने लोगों को मां गंगा के जल में अपनी गंदगी के स्थान पर पाप धोने का संदेश दिया। इस दौरान नागा सन्यासियों ने कहा कि पतित पावनी गंगा हमारी मां है। ऐसे में कोई भी बच्चा अपनी मां के आंचल रूपी जल में अपनी गंदगी कैसे धो सकता है। मां का आंचल हमारे पाप को धोकर हमें पुण्य लाभ देता है।

पहले नागा संन्यासी करते हैं स्नान

कुंभ के दौरान नागा संन्यासियों की परम्परा है कि वह शाही स्नान में शामिल होने के पूर्व रात में ही खुद को शुद्ध करते हुए स्नान करते हैं और पूरे शरीर पर भस्म लगाते हैं। इसके बाद वह स्नान के लिए निकलते हैं। इस बार अपनी पूर्व परम्परा के अनुसार नागा सन्यासियों ने स्नान करने के बाद शाही स्नान में शिरकत की। इस परम्परा के बारे में जूना अखाड़ा के जगदगुरु पंचानंदगिरी जी महाराज ने बताया कि सनातन धर्म की हमेशा से परम्परा रही है कि वह लोगों को स्वच्छता का संदेश देती है। इस परम्परा के पीछे भी यही कारण है। जिससे हमारी जीवनदायनी नदियों को स्वच्छ रखने के लिए आम जन में जागरूकता बढ़ाई जा सके। वैसे भी शास्त्रों में गंगा समेत प्रमुख नदियों की मां की श्रेणी में रखा गया है। ऐसे में हम सभी की ये जिम्मेदारी है कि हम सभी मिलकर गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियों को स्वच्छ एवं पवित्र रखें।

Posted By: Inextlive