- 5 सालों से नगर निगम ने नहीं वसूला भू-उपयोग शुल्क

- शहर में करीब 25000 दुकान फुटपाथ पर सजाते हैं दुकानें

बरेली : शहर में फुटपाथ पर दुकान लगाने वाले दुकानदारों से भू-उपयोग शुल्क वसूलने का प्रावधान है. निगम से 5 सालों से इन दुकानदारों से भू-उपयोग शुल्क नहीं वसूला है. जबकि शहर में करीब 25000 ऐसे छोटे दुकानदार हैं, जो निगम की जमीन पर दुकान लगाते हैं. अगर निगम ने इन दुकानदारों से भू-उपयोग शुल्क वसूला होता तो 5 सालों में 12.50 करोड़ की आमदनी होती, जोकि विकास के अन्य कामों में लगाई जा सकती थी.

एरिया के हिसाब से होती वसूली

शहर में लगभग हर एरिया में इन दुकानदारों का जाल फैला हुआ है. एक निर्धारित स्थान पर डेली दुकान लगाने वाले दुकानों से यह टैक्स वसूला जाता है. इन दुकानदारों से दुकान के एरिया के हिसाब से टैक्स की दर लगाई जाती है.

इन एरिया में लगती दुकानें

शहर में सिविल लाइंस, चौकी चौराहा, जंक्शन, राजेन्द्र नगर, कुतुबखाना रोड और इंदिरा नगर में दुकानें लग रही हैं. इन दुकानदारों से टैक्स नहीं वसूला जा रहा है.

यह है नियम

पांच साल पहले निगम की गाइड लाइन में तहबाजारी शुल्क शामिल था, जिसके तहत निगम की जमीन पर दुकान लगाने वालों से निगम फड़ लगाने का शुल्क लेता था. सपा सरकार के दौरान इस शुल्क पर रोक लगा दी गई थी. इसके स्थान पर भू-उपयोग कर का प्रावधान लागू कर दिया गया. अब भले ही दुकानदार का पंजीकरण निगम में न हो, लेकिन निगम की जमीन पर दुकान लगाने पर टैक्स देना जरूरी है.

पूर्व मेयर ने बनाई थी योजना

पूर्व मेयर डॉ. आईएस तोमर ने भू-उपयोग शुल्क वसूली की ओर ध्यान देते हुए शहर में अभियान चलाने के निर्देश दिए थे. उनके अनुसार इस वसूली से होने वाले राजस्व लाभ से निगम के सामने स्थित मंडी में 30 दुकानों का निर्माण कराया जाना था, लेकिन उस दौरान भी कर वसूली का मामला ठंडे बस्ते में चला गया था.

क्या निगम ने कर लिया सांठ-गांठ

भू-उपयोग शुल्क के लिए टेंडर जारी करने का प्रावधान है और न ही टेंडर जारी किया है. नगर निगम ने पिछले 5 सालों से भू-उपयोग शुल्क नहीं वसूला है. इससे संभावना है कि निगम इन दुकानदारों से सांठ-गांठ कर अपनी जेब तो भर रहा है, पर राजस्व को चूना लगा रहा है.

वर्जन

तहबाजारी शुल्क समाप्त होने के बाद भू-उपयोग शुल्क वसूलने का प्रावधान है. हालांकि हमने टीम बनाई है. इस बावत मेयर से भी वार्ता की गई है. जल्द अभियान चलाकर शुल्क वसूला जाएगा.

ललतेश सक्सेना, कर निर्धारण अधिकारी

Posted By: Radhika Lala