भारत-चीन के बीच सीमा पर चल रहे गतिरोध को लेकर देश में उबाल है। 20 भारतीय जवानों की शहादत के बाद चीन को सबक सिखाने की मांग उठ रही है। इस बीच देश के नागा साधुओं ने भी जरूरत पड़ने पर सहयोग देने की बात कही है।


प्रयागराज (आईएएनएस)। संतों और साधुओं की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (एबीएपी) के अध्यक्ष, महंत नरेंद्र गिरी ने कहा है कि लाखों नागा-सन्यासियों को भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल होने में कोई संकोच नहीं होगा। हम सीमाओं पर चीनी आक्रामकता का करारा जवाब दे सकते हैं। हमले की निंदा करते हुए गिरि ने कहा कि भारतीय सेना दुश्मन को करारा जवाब देने में सक्षम है, लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो लाखों नागा साधु अपनी सेना में शामिल हो सकते हैं ताकि वे देश की मातृभूमि की सुरक्षा कर सकें।'तलवार, त्रिशूल चलाने में अव्वल
नरेंद्र गिरी ने आगे कहा, 'नागा साधुओं को समान रूप से शरत (धार्मिक ग्रंथों) और शशस्त्र (हथियारों) का प्रशिक्षण दिया जाता है।' गिरी ने कहा कि नागा साधुओं को मार्शल आर्ट में प्रशिक्षित किया जाता है और वे त्रिशूल, तलवार, बेंत और भाले भी ले जाते हैं। " मुगल शासकों से हिंदुओं की रक्षा के लिए एक प्रशिक्षित सशस्त्र बल और कई सैन्य रक्षा अभियानों में शामिल रहे थे। हालांकि, आजादी के बाद, नागाओं को सशस्त्र गतिविधियों में शामिल होने की कोई स्पष्ट आवश्यकता नहीं थी, इसलिए उन्होंने धर्म की ओर रुख किया।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari