नंदा देवी ईस्ट अभियान के दौरान एवलांच की चपेट में आकर बर्फ में दबे आठ पर्वतारोहियों के खोज एवं बचाव कार्य के लिए वेडनसडे को हेलीकॉप्टर ने तीन बार लैंडिंग का प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिली.

- अब बागेश्वर के पिंडारी से चलाया जा सकता है खोज एवं बचाव अभियान

- 10 सदस्यीय एसडीआरएफ की टीमें संयुक्त रू प से चलाएंगी अभियान

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PITHORAGARH: पिथौरागढ़ में जोहार के मर्तोली से चलाए जा रहे अभियान को लेकर संदेह बने होने से अब बागेश्वर जिले के पिंडारी से अभियान चलाने के बारे में विचार हो रहा है. नंदा देवी क्षेत्र में खराब मौसम रेस्क्यू ऑपरेशन में बाधा बन रहा है. अभियान को एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आईटीबीपी संयुक्त रूप से चला रहे हैं.

हेलीकॉप्टर ने तीन बार भरी उड़ान
वेडनसडे को डीएम डॉ. वीके जोगदंडे ने आईटीबीपी के डीआईजी एपीएस निंबाडिया की मौजूदगी में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि वेडनसडे को हेलीकॉप्टर ने तीन बार लैंडिंग का प्रयास किए परंतु सफलता नहीं मिली. थर्सडे को फिर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जाएगा. एक-एक कर ही शव निकाले जा सकते हैं. इसके लिए खोज एवं बचाव दल के सदस्य अभ्यास भी करते रहेंगे. डीएम ने बताया कि नंदा देवी ईस्ट में जिस स्थान पर शव देखे गए हैं और बचाव कार्य करना है, वहां पर तीनों तरफ से ऊंची बर्फीली पहाडि़यां हैं. बीच में कटोरानुमा स्थल है. जहां पर रेस्क्यू के लिए मार्ग नहीं मिल रहा है. यदि हेलीकॉप्टर उतर भी गया तो उसे टर्न होने के लिए जगह नहीं मिल पाएगी. नंदा देवी क्षेत्र में ट्यूजडे को भी हिमपात हुआ है. जिस स्थान पर शव पड़े हैं वह भी एवलांच जोन है. यहां पर यदि फिर एवलांच आया तो नजर आ रहे शव फिर बर्फ में दब सकते हैं. ऐसे में इस क्षेत्र में छोटे हेलीकॉप्टर से जाकर झंडे लगाने होंगे ताकि स्थान की पहचान बनी रहे.

चुनौतीपूर्ण है रेस्क्यू ऑपरेशन
डीएम ने बताया कि वेडनसडे शाम तक 30 से 35 सदस्यीय एनडीआरएफ का दल पिथौरागढ़ पहुंच रहा है. एनडीआरएफ के साथ ही आईटीबीपी की 12 और एसडीआरएफ की 10 सदस्यीय टीम संयुक्त रू प से खोज एवं बचाव कार्य में जुटेगी. आईटीबीपी की सूचना के आधार पर मर्तोली से अभियान का संचालन कर पाना काफी चुनौतीपूर्ण हो रहा है. जिसे देखते हुए बागेश्वर के पिंडारी ग्लेशियर क्षेत्र से अभियान चलाए जाने के बारे में विचार किया गया है. हालांकि इसमें अब अधिक समय लगेगा.

अब लंबा चलेगा ऑपरेशन
आइटीबीपी के डीआइजी एपीएस निंबाडिया ने बताया पर्वतारोहण में प्रति हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थिति बदलती रहती है. इसका एक निर्धारित प्रोटोकाल होता है. जिसके मानक नौ हजार, 12 हजार और 14 हजार मीटर की ऊंचाई होते हैं. नौ हजार मीटर की ऊंचाई पर छह दिन आराम के बाद फिर 12 हजार की ऊंचाई पर चार दिन का रेस्ट और 14 हजार की ऊंचाई पर चार दिन ठहरने का प्रावधान है. यह सेना के मेडिकल का प्रोटाकॉल होता है. जिसे देखते हुए इस अभियान में लंबा समय लग सकता है. आने वाले दो दिनों में फिर रेकी की जाएगी. जिसमें एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आईटीबीपी की टीम जाएगी. वायु सेना से टीम को इन स्थानों पर छोड़ने का अनुरोध किया जाएगा. इस अभियान को अब पिंडारी ग्लेशियर से संचालित किए जाने का प्रस्ताव किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी समस्या एवलांच की बनी है. अभियान में भले ही समय लगे परंतु अपने को सुरक्षित रखकर ही अभियान सफल हो सकता है.

Posted By: Ravi Pal