-प्रीतियोग में सौन्दर्य पर्व रूप चतुर्दशी, प्रत्युष काल में करें स्नान

-आयुष्मान योग में नरक चतुर्दशी पर करें सांय कालीन दीप दान

 

bareilly@inext.co.in
BAREILLY :छोटी दिवाली पर इस बार चित्रा नक्षत्र प्रीतियोग एवं आयुष्मान योग अति शुभ रहेगा। चित्रा नक्षत्र जो कि शुभ फल देने वाला माना जाता है और उसमें प्रीति योग और आयुष्मान योग का होना अति शुभ फलदायक है। बालाजी ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं। राजीव शर्मा ने बताया कि इन शुभ योग में पूजा-पाठ का विशेष फल प्राप्त होगा, खासकर मंगलवार को हनुमान जयंती का चित्रा नक्षत्र में हनुमत पूजन से शनि कष्टों का निवारण विशेष रूप से होगा।

दिवाली के दूसरे दिन नरक चौदस

चतुर्दशी तिथि रात्रि 10:27 बजे तक चित्रा नक्षत्र सूर्योदय से रात्रि 07:55 बजे तक, प्रीति योग भी रात्रि 07:55 बजे तक रहेगा। इसके बाद अति शुभ आयुष्मान योग आरम्भ होगा। इस दिन चन्द्रमा तुला राशि में सुबह 08:13 बजे के बाद प्रवेश करेंगे तथा चन्द्र-शुक्र की युति का अच्छा योग बनेगा। इस योग का रूप चतुर्दशी के दिन होना अति शुभ माना जाता है। दीपावली का दूसरा दिन नरक चतुर्दशी एवं रूप चतुर्दशी के रूप में जाना जाता है। इस दिन के प्रमुख देव कार्य, रूप चतुर्दशी का स्नान प्रत्यूष काल में, यम तर्पण सुबह 10:41 बजे से दोपहर 12:31 बजे तक, हनुमत पूजन सुबह 10:41 बजे से दोपहर 12:41 बजे तक अथवा दोपहर में पूजन दोपहर 12:41 बजे से दोपहर 01:24 बजे तक एवं रात्रि काल में सांय 07:07 से रात्रि 08:46 बजे तक एवं रात्रि 10:24 बजे से रात्रि 12:03 बजे तक। यमराज के निमित दीपदान प्रदोष काल में सांय 05:33 बजे से 06:48 बजे तक। दीप माला प्रज्वलन सांय काल 07:07 बजे से रात्रि 08:46 बजे तक और रूप चतुर्दशी का स्नान हाेता है।

यह है मान्यता

इसे रूप निखारने का पर्व बताया गया है। इस दिन प्रत्यूष काल में स्नान आदि करने से मनुष्य को यमलोक का दर्शन नहीं करना पड़ता है। इस दिन प्रात: स्नान का विशिष्ट महत्व बताया गया है। ब्रह्मा मुहुर्त में इस तिथि में स्नान करने से शरीर में दिव्य शक्ति आती है। ब्रह्मापुराण के अनुसार जो मनुष्य सूर्योदय से पूर्व स्नान करता है, वह यमलोक को नहीं जाता है। भविष्य पुराण के अनुसार कृष्ण चतुर्दशी को जो व्यक्ति सूर्योदय के बाद स्नान करता है, उसके पिछले 1 वर्ष के सभी पुण्य कार्य समाप्त हो जाते हैं। इस दिन स्नान से पूर्व शरीर पर तिल के तेल से मालिश करनी चाहिए। कार्तिक मास में तेल की मालिश वर्जित है, किन्तु कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी अर्थात नरक चतुर्दशी के दिन इसका विधान है। नरक चतुर्दशी के दिन तिल के तेल में लक्ष्मी जी, जल में गंगा जल का निवास होता है। इस दिन तेल लगाने के बाद उबटन से स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से आध्यात्मिक लाभ तो मिलता ही है वहीं स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है तथा शरीर में स्फूर्ति आती है। वरुण देवता का स्मरण करके स्नान के जल में हल्दी, कुमकुम डालकर स्नान करना चाहिए। स्नान के बीच में शरीर पर अपामार्ग का प्रोक्षण करना चाहिए तथा तुंबी (लौकी का टुकड़ा) और अपामार्ग (आठ अंगूल लम्बी लकड़ी) इन दोनों को अपने सिर के चारों ओर सात बार घुमायें, इससे नरक भय दूर होता है।

Posted By: Inextlive