भारतीय क्रिकेट इतिहास में कई खिलाड़ी आए और गए। मगर पहचान सिर्फ उन्हें मिली जो कुछ खास कर गए। ऐसे ही एक खास खिलाड़ी हैं नरेंद्र हिरवानी जिनका आज 51वां जन्मदिन है। आइए इस मौके पर जानें उनके करियर से जुड़ी रोचक बातें...


कानपुर। 18 अक्टूबर 1968 को उत्तर प्रदेश में जन्में पूर्व भारतीय क्रिकेटर नरेंद्र हिरवानी आज अपना 51वां बर्थडे मना रहे हैं। नरेंद्र टीम इंडिया के बेहतरीन गेंदबाजों में से एक रहे हैं। दिग्गज गेंदबाज अनिल कुंबले से पहले नरेंद्र हिरवानी को ही भारतीय टीम का सर्वश्रेष्ठ स्पिनर माना जाता था। हालांकि कुंबले के आने के बाद नरेंद्र की टीम में जगह पक्की नहीं हो पाई मगर वो अपने छोटे से टेस्ट करियर में वो रिकॉर्ड बना गए जिसे आज तक कोई नहीं तोड़ पाया।डेब्यू टेस्ट में लिए 16 विकेट


नरेंद्र हिरवानी ने 1988 में वेस्टइंडीज के विरुद्ध टेस्ट डेब्यू किया था। उस समय उनकी उम्र सिर्फ 19 साल थी। इतनी कम उम्र और बिना अनुभव के कैरेबियाई जैसी टीम के सामने गेंदबाजी करना आसान नहीं था। मगर चेन्नई में खेले गए इस मैच में नरेंद्र ने ऐसी गेंद घुमाई कि बड़े-बड़े बल्लेबाज चकमा खा गए। विवियन रिचर्ड्स और कार्ल हूपर जैसे दिग्गज भी हिरवानी की गेंदों को पढ़ नहीं पाए। इस मैच में हिरवानी ने 136 रन देकर 16 विकेट अपने नाम किए थे जिसमें दोनों पारियों में 8-8 विकेट चटकाए। यही नहीं दूसरी पारी में उन्होंने जिन 8 बल्लेबाजों को आउट किया उसमें से 5 बल्लेबाज को स्टंप आउट हुए, यह भी एक रिकॉर्ड है। उस वक्त टीम इंडिया के विकेटकीपर किरन मोरे हुआ करते थे।विदेश जाते ही खत्म हुआ जादूक्रिकइन्फो के डेटा के मुताबिक, हिरवानी के नाम डेब्यू टेस्ट में सबसे ज्यादा विकेट लेने का रिकॉर्ड दर्ज है। उनके बाद इस रिकॉर्ड को तोड़ना दूर उसके आसपास भी कोई नहीं पहुंच पाया। दाएं हाथ के लेग स्पिनर नरेंद्र हिरवानी घरेलू मैदानों पर तो काफी अच्छा प्रदर्शन करते थे मगर विदेशी पिचों पर उनका जादू कहीं खो सा जाता था। पहले चार टेस्ट मैचों में 36 विकेट अपने नाम करने वाले हिरवानी अगले 9 मैचों यानी 18 पारियों में सिर्फ 21 विकेट ले पाए, बस यहीं से उनका करियर ढलान पर आ गया।ऐसा रहा है करियर

नरेंद्र हिरवानी ने करीब 8 साल तक इंटरनेशनल क्रिकेट खेला। इस दौरान उन्होंने 17 टेस्ट मैच खेले जिसमें 66 विकेट अपने नाम किए। वहीं एकदिवसीय मैचों की बात करें तो नरेंद्र के नाम 18 मैचों में 23 विकेट दर्ज हैं। हिरवानी ने अपना आखिरी टेस्ट 1996 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेला था, उसके बाद भारतीय टीम में उनकी जगह नहीं बन पाई। हालांकि वह फर्स्ट क्लॉस क्रिकेट खेलते रहे थे। प्रथम श्रेणी मैचों में उनके नाम 167 मैचों में 732 विकेट दर्ज हैं।संन्यास के बाद बने चयनकर्तानरेंद्र हिरवानी ने साल 2005 में क्रिकेट के सभी फॉर्मेट को अलविदा कह दिया था। रिटायरमेंट के बाद उन्हें 2008 में भारतीय राष्ट्रीय चयन समिति में सदस्य बना दिया गया था। अब वो इस कमेटी से बाहर हैं। हिरवानी के बेटे मिहिर हिरवानी भी क्रिकेटर हैं। मिहिर फिलहाल फर्स्ट क्लाॅस क्रिेकट खेलते हैं और अपने पिता की तरह स्पिन गेंदबाज हैं।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari