एनआरएचएम घोटाले में फंसे बाबू सिंह कुशवाहा को भारतीय जनता पार्टी ने वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी में शामिल किया तो इसकी प्रतिक्रिया के रूप में पार्टी को खासी किरकिरी का सामना करना पड़ा। बाबू सिंह कुशवाहा को सीबीआई ने मतदान खत्म होते गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद मजबूर होकर पार्टी को भी उन्हें बाहर का रास्ता दिखाना पड़ गया। कुछ ऐसी ही किरकिरी भाजपा को नरेश अग्रवाल द्वारा दिए गये बयान के बाद झेलनी पड़ रही है। फिलहाल पार्टी तमाम ऐसे नेताओं के साथ अपनी नजदीकी की कीमत चुकाने को मजबूर है।


बुक्कल को भी संयम बरतने की सलाह दी गयीकुछ इसी तरह सूबे में भाजपा सरकार बनने के बाद भाजपा ने सपा में सेंध लगानी शुरू की और उसके तमाम एमएलसी अपने पाले में कर लिए। इनमें एक नाम बुक्कल नवाब का भी है। एमएलसी पद से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए बुक्कल नवाब ने राजधानी में तमाम ऐसी होर्डिंग्स लगवा दी जिसका लोगों ने खूब मखौल उड़ाया। इसके बाद बुक्कल को भी संयम बरतने की सलाह पार्टी की ओर से दी गयी। वहीं भाजपा से चुनावी गठबंधन करने वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर भी अपने विवादित बयानों से पार्टी को परेशानी में डालते रहे हैं। बयानों से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाते रहते
राजधानी में भाजपा के समर्थन से मोहनलाल संसदीय सीट पर चुनाव लडऩे वाले आरके चौधरी को हार रास नहीं आई और उन्होंने सपा ज्वाइन करने में तनिक भी देर नहीं की। सपा ज्वाइन करने के दौरान उन्होंने कांशीराम और मुलायम द्वारा किए गये सपा-बसपा गठजोड़ को सही ठहराते हुए भाजपा को खूब खरी-खोटी सुनाई थी। हालांकि इसमें भाजपा विधायक और पार्टी पदाधिकारी भी पीछे नहीं रहते हैं और समय-समय पर अपने बयानों से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाते रहते है।

Posted By: Shweta Mishra