अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने चांद की गुरुत्वाकर्षण में काम करने वाला टाॅयलेट बनाने की चुनौती पेश की है। इसके लिए उसने 26 लाख रुपये बतौर ईनाम की राशि भी तय की है।


वाशिंगटन (आईएएनएस)। डिजाइन बनाकर नासा को भेजा जा सकता है, जो माइक्रोग्रैविटी और लूनर ग्रैविटी पर काम कर सके। नासा चांद पर भविष्य के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए रहने लायक चीजें, शेल्टर इत्यादि बनाने पर दोबारा काम कर रहा है। अंतरिक्ष यात्री भोजन करेंगे और कुछ पी सकेंगे। इसके साथ ही माइक्रोग्रैविटी और लूनर ग्रैविटी में नित्य क्रिया भी करेंगे। नासा ने कहा कि अंतरिक्ष यात्री अपने स्पेस सूट से बाहर जब अपने केबिन में रहेंगे तो उन्हें टाॅयलेट की जरूरत पड़ेगी। यह धरती पर मौजूद टाॅयलेट की तरह ही काम करने वाला होना चाहिए।स्पेस टाॅयलेट पहले से है मौजूद, होता है माइक्रोग्रैविटी में यूज


स्पेस टाॅयलेट का डिजाइन चांद से धरती पर ऐसा होना चाहिए जैसे अर्टेमिस लूनर लैंडर का है जो मानव को धरती पर वापस ले आता है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने कहा कि हालांकि स्पेस टाॅयलेट पहले से ही मौजूद हैं और उनका इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में इस्तेमाल भी किया जाता है। लेकिन ये सिर्फ माइक्रोग्रैविटी में ही इस्तेमाल किया जाता है। नासा नेक्स्ट जनरेशन उपकरणों पर ध्यान दे रहा है वह चाहता है डिवाइस छोटी और पहले से ज्यादा प्रभावशाली होनी चाहिए। साथ ही वह माइक्रोग्रैविटी और लूनर ग्रैविटी दोनों जगह काम कर सके।

17 अगस्त है स्पेस टाॅयलेट डिजाइन भेजने की लास्ट डेटनासा की चुनौती में टेक्निकल कैटेगरी और जूनियर कैटेगरी है। 17 अगस्त डिजाइन नासा को भेजने की लास्ट डेट है। अर्टेमिस मून मिशन के जरिए दुनिया की पहली महिला 2024 में चांद पर कदम रखेगी। यह मिशन अमेरिका का चांद से मंगल तक का विस्तृत मिशन का हिस्सा है। इस मिशन के अनुभव का नासा मंगल पर मानव भेजने में इस्तेमाल करेगा। अर्टेमिस कार्यक्रम अमेरिका के एक विस्तृत स्पेस एक्सप्लोरेशन का एक हिस्सा है।

Posted By: Satyendra Kumar Singh