राष्ट्रीय शिल्प मेला की छठवीं शाम हुआ अ2िाल 5ारतीय कवि स6मेलन

कवियों ने हंसी-ठहाकों के साथ वीर रस की रचनाएं सुनाकर किया मंत्रमुग्ध

ALLAHABAD: उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र में आयोजित राष्ट्रीय शिल्प मेला के छठवें दिन अ2िाल 5ारतीय कवि स6मेलन का आयोजन हुआ। केन्द्र के मंच से कवियों ने देश5ाक्ति, हंसी-ठहाकों के साथ ही सामाजिक परिदृश्य पर केन्द्रित एक से बढ़कर एक रचनाओं की प्रस्तुति की।

कचरा आं2ा में है

ल2ानऊ की प्रीता बाजपेई ने 'मुझे बर्बाद करने को तो एक अफवाह काफी है, हमारा शहर तो माचिस की इक तीली से जलता है' पंक्तियां सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। बुद्धसेन शर्मा ने 'सफाई किसकी करनी चाहिए 1या साफ करते हो, कचरा आं2ा में है और चश्मा साफ करते हो' पंक्तियां सुनाई।

अमीर लोग घास डालते ही नहीं

केन्द्र के पूर्व निदेशक व एनसीआर के सीपीआरओ गौरव कृष्ण बंसल ने 'अपना सा मुंह ले जो अपने घर जाए, कस्टमर वो है जो कष्टों से मर जाए' सुनाकर श्रोताओं को 2ाूब हंसाया। बिहार से आए सुनील कुमार तंग ने 'गरीब लोगों को हम दिल में पालते ही नहीं, अमीर लोग हमें घास डालते ही नहीं' प्रस्तुत की। कवि नंदल हितैषी ने 'इस दौर की सच्ची कहानी लि2ा सकता तो लि2ा, आज बस कबीर की बानी लि2ा सके तो लि2ा' पंक्तियां सुनाई। मंच पर रमाकांत शर्मा, योगेन्द्र मिश्रा, नजीब इलाहाबादी, अ4दुल ग3फार आदि कवियों ने 5ाी अपनी रचनाओं की प्रस्तुति की। संचालन करते हुए शैलेन्द्र मधुर ने 'ये हवा की सनसनाहट, बर्फबारी और दिल, आज तो मौसम से दो-दो हाथ होने दीजिए' सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।

लावणी ने बांधा समां

शिल्प मेले के मंच पर कवि स6मेलन से पहले महाराष्ट्र के राहुल हल्दे व उनकी टीम ने वहां के प्र2यात लावणी नृत्य की प्रस्तुति की। आकर्षक वेश5ाूषा से सुसज्जित कलाकारों ने लावणी की प्रस्तुति से समां बांध दिया।

Posted By: Inextlive