- सीएम बोले, नमामि गंगे परियोजना में गंगा की सहायक नदियों पर स्थित प्रमुख नगरों में भी सीवेज प्रबंधन की हो व्यवस्था

- पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कानपुर में आयोजित हुई नेशनल गंगा काउंसिल की बैठक

>DEHRADUN: कानपुर में आयोजित राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक में गंगा की अविरलता और पवित्रता को लेकर कई मुद्दों पर मंथन हुआ। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नमामि गंगे परियोजना में गंगा की सहायक नदियों पर स्थित प्रमुख नगरों में भी सीवेज मैनेजमेंट की योजनाओं की स्वीकृति देने व सॉलिड वेस्ट डिस्पोजल की व्यवस्था करने को कहा। सीएम ने पीएम से आगामी कुम्भ में परमानेंट व टेंपरेरी कायरें के लिए सहायता का भी अनुरोध किया। सीएम ने सैटरडे को पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कानपुर में आयोजित राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक में शिरकत की। इसमें केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी सहित परिषद के अन्य सदस्य उपस्ि1थत थे।

रिस्पना नदी का भी पीएम के सामने जिक्र

सीएम ने उत्तराखंड में नमामि गंगे के तहत किए गए कायरें के लिए पीएम व केंद्र सरकार का आभार जताया। सीएम ने कहा कि नमामि गंगे के तहत उत्तराखंड में चिन्हित 15 सिटीज के लिए स्वीकृत 19 प्रोजेक्ट्स में से 10 प्रोजेक्ट्स पूरे हो चुके हैं। पांच पर दिसंबर आखिर और दो योजनाएं फरवरी 2020 तक पूरी हो जाएंगी। कहा, एक प्रोजेक्ट जून 2020, एक अन्य नवंबर 2020 तक पूरा हो जाएगा। इन नगरों में चिन्हित 135 नालों में से 70 नाले एनजीबीआरए में स्वीकृत योजनाओं में टैप किए जा चुके हैं। बाकी 65 नालों में से 43 नालों को नमामि गंगे में स्वीकृत योजनाओं में टैप कर लिया गया है। जबकि बाकी 22 नालों को भी जल्द ही टैप कर लिया जाएगा। गंगा की मुख्यधारा के अतिरिक्त दो अन्य सहायक नदियां रिस्पना व कोसी के तट पर स्थित शहरों देहरादून व रामनगर के लिए भी 2 योजनाएं स्वीकृत हुई हैं। इन्हें भी नवम्बर 2020 तक कार्य पूरा कर लिया जाएगा।

फिल्टर जल का यूज एग्रीकल्चर के लिए

सीएम ने कहा कि हरिद्वार के जगजीतपुर एसटीपी से निकल रहे 45 एमएलडी फिल्टर जल का पूरा यूज एग्रीकल्चर सिंचाई के लिए किया जा रहा है। हरिद्वार, ऋषिकेश व मुनिकीरेती में ट्रीट किए जल का यूज एग्रीकल्चर सिंचाई के लिए किया जाएगा। एसटीपी से निकलने वाले स्लज को भी कृषि कायरें में खाद के रूप में फ्री वितरित किया जा रहा है।

हरिद्वार में पहला एसटीपी

काउंसिल की बैठक में सीएम ने कहा िक इनोवेटिव के तहत हरिद्वार में हाल ही में देश केपहले हाईब्रिड एन्यूटी मॉडल पर आधारित 14 एमएलडी क्षमता के एसटीपी का लोकार्पण केंद्रीय जलशक्ति मंत्री और स्वीडन किंग की उपस्थिति में हो चुका है। नमामि गंगे के तहत ही गंगा किनारे प्रमुख स्थानों पर 21 स्नान घाट और 21 मोक्ष गृह का निर्माण किया गया है।

महाकुंभ से पहले पूरे होंगे नमामि गंगे के काम

सीएम ने भरोसा दिया कि हरिद्वार में 2021 में होने वाले महाकुम्भ से पहले नमामि गंगे प्रोजेक्ट में चिन्हित कायरें को पूरा कर लिया जाएगा। जिससे गंगा की निर्मलता व अविरलता सुनिश्चित हो सके। हरिद्वार में ही 72 घाटों की मॉडर्न इक्विपमेंट से सफाई का काम जारी है। सीएम ने पीएम से आगामी कुम्भ में स्थाई व अस्थाई प्रकृति के कायरें के लिए सहायता का भी अनुरोध किया।

- निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए वेस्ट टू एनर्जी नीति

- गंगा नदी के तट पर 15 प्राथमिकता के नगरों के सभी 196 वाडरें में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन।

- 83 वाडरें में सोर्स सेग्रीगेशन हुआ शरू।

- स्टेट में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा।

- प्लास्टिक निस्तारण को 10 सिटीज में प्लास्टिक कम्पैक्टर लगे।

- बाकी 4 दूसरे सिटीज में भी कम्पैक्टर लगाए जाएंगे।

- निजी निवेश को बढ़ावा देने को वेस्ट टू एनर्जी नीति बनाई।

- गंगा किनारे 22 ग्रामों को चिन्हित कर जैविक कृषि को क्लस्टर एप्रोच के माध्यम से बनाया रोडमैप।

- फ‌र्स्ट फेज में चमोली, उत्तरकाशी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग व टिहरी के 42 ग्रामों में जैविक खेती शुरू।

- गंगा वाटिका व बायो डायवर्सिटी पार्क डेवलप करने व नर्सरियां बनाने पर भी जोर।

- उत्तरकाशी में 10 किमी व हरिद्वार में 50 किमी लंबाई में फ्लड प्लेन जोनिंग की अधिसूचना जारी।

- बाकी क्षेत्रों में सर्वेक्षण की कार्रवाई जून 2020 तक होगी पूरी।

- नमामि गंगे के तहत स्वीकृत प्रोजेक्ट्स की सीएम व सीएस कर रहे निरंतर समीक्षा।

सीवेज प्रबंधन की योजनाएं हों स्वीकृत

सीएम ने कहा कि गंगा की सहायक नदियों पर स्थित प्रमुख नगरों में भी नमामि गंगे परियोजना में सीवेज प्रबंधन की योजनाओं की स्वीकृति प्रदान की जाए। हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे प्रमुख धार्मिक स्थलों को पूरी तरह सीवर लाइन से कवर करने के लिए केंद्र सरकार की अनुमति से जर्मन बैंक केएफडब्ल्यू से वित्त पोषण का अनुबंध हो चुका है। लेकिन गंगा की मुख्यधारा के साथ ही सहायक नदियों पर स्थित धार्मिक व पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण अन्य नगरों में सीवर लाइन बिछाया जाना जरूरी है। सीएम ने कहा, सॉलिड वेस्ट डिस्पोजल भी जरूरी है। इसके लिए नमामि गंगे प्रोजेक्ट से भी वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाए या स्वच्छ भारत मिशन के तहत वायबिलिटी गैप फंडिंग के अनुपात को बढ़ाकर 90:10 में वित्तीय सहायता दी जाए।

Posted By: Inextlive