नौचंदी क्षेत्र शहर का सबसे पुराना और ऐतिहासिक क्षेत्र है, लेकिन नेताओं की अनदेखी कहें या सरकारी विभागों की लापरवाही कि आज तक यह क्षेत्र दुर्गति का दंश झेल रहा है। नेता आते गए और हमारे वोट वसूलते रहे, लेकिन क्षेत्र की दुर्दशा दूर न हो सकी। ये कोई स्क्रिप्ट नहीं, बल्कि चाय की दुकान पर बैठे उन लोगों की चर्चा है जो दोहपर की धूप में चाय की चुस्कियों के साथ क्षेत्र के विकास पर राजनीतिक धूल को साफ करने का प्रयास कर रहे थे।

-शहर विधानसभा का नौचंदी क्षेत्र सालों से पिछड़ा

-जनता ने कहा, आश्वासन नहीं विकास से चलेगा काम

Meerut। नौचंदी ग्राउंड स्थित पिंकू टी-स्टॉल पर लोगों का जमावड़ा सुबह ही लगना शुरू हो जाता है। शनिवार को भी कुछ इसी तरह का नजारा था। धूप सेकने के बाहने कुछ लोग दुकान में आ बैठे। कुछ ने वहां रखा अखबार टटोलना शुरू किया तो कुछ ने चुनावी चर्चा का श्रीगणेश कर दिया। तभी पिंकू ने गरमा-गरम चाय की प्यालियां उठाकर उनके सामने जा रखी।

-तभी चाय की प्याली उठाते हुए कासिफ ने शिगूफा छोड़ा, 'भाई पिंकू आज तो इधर से बदबू बहुत आ रही है। पिंकू भी कहां चूकने वाला था 'हां भाई सब तुम्हारे नेताओं का किया धरा है' आसिफ को मतलब समझ नहीं आया तो सवाल भरी नजरे पिंकू पर गड़ा दी। पिंकू अपनी बात पूरी करते हुए तुम्हारे विधायक जी तबेले में तब्दील इस नौचंदी मैदान का विकास करा देते तो यहां बदबू की जगह खुशबू आती।

-पिंकू की बात आसिफ को कुछ चुभी सी 'मैंने क्या अकेले उनको विधायक बनाया है, तुमने भी तो लपक कर वोट दिया था। अब झेलो, तभी चाय की प्याली रखते हुए इलियास बीच में कूद पड़े 'भैया हमने तो कहा था कि जिस आदमी को पहले तीन बार देख लिया, उसको बार-बार क्या देखना'

-इलियास अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाए थे कि अमित से रहा न गया 'भैया चलो विधायक ने विकास नहीं कराया, तुम्हारी सरकार के लाल बत्तियों वाले नेताओं ने नौचंदी मैदान की तो जैसी कायापलट कर दी हो'। 'एक छोड़ दर्जन भर नेता मंत्री बने घूम रहे थे' पकड़ लेते किसी को।

-तभी इस बीच मशरूर अहमद बीच-बचाव की मुद्रा अपनाते हुए 'भाइयों गड़े हुए मुर्दे उखाड़ने से तो दुर्गध ही आवेगी, आगे की सुध लो' यासीन ने भी मशरूर का समर्थन करते हुए हां में हां मिलाई और सोच-समझकर वोट देने की बात कही।

टी-प्वाइंट

भैया चुनाव के समय पर तो सारी पार्टियों के प्रत्याशी सगे भाई से भी ज्यादा प्यार दिखाते हैं। खूब लाग लपेट की बात करतें हैं। लेकिन एक बार काम निकल जाए तो दुश्मन की तरह देख कर मुहं फेर लेते हैं। सब एक थाली के चट्टे-बट्टे हैं। भैया मैंने तो एक बात समझी इस बार नोटा का बटन दबाउंगा। किसी को वोट नहीं करुंगा।

-संजीव शर्मा उर्फ पिंकू

जो राजनीतिक पार्टी और प्रत्याशी विकास की बात करेगा। उसको वोट करेंगे। सांप्रदायिकता का शिगूफा इस बार नहीं चलेगा।

-मो। आसिफ

कुछ नेता विकास कार्यो में भी सांप्रदायिकता का भाव रखते हैं। ऐसे नेताओं की अबकी बार बायकॉट की जाएगी। साफ छवि का नेता चुनेंगे।

-मशरूर अहमद

वोट देने से पूर्व प्रत्याशी का रिकॉर्ड और पार्टी की विश्वसनीयता देखूंगा। यदि कोई प्रत्याशी जमा नहीं तो नोटा का बटन दबाउंगा।

-अमित खारी

Posted By: Inextlive