नवरात्रि का शुभारंभ शैलपुत्री के पूजन से होता है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती देवी ही शैलपुत्री के नाम से विख्यात हैं। हिमराज एवं उनकी पत्नी मैना देवी की घोर तपस्या प्रार्थना से प्रसन्न होकर आद्यशक्ति दुर्गा कन्या रूप में उनके यहां प्रकट हुईं। नवरात्रि के प्रथम दिन इन्हीं की पूजा-अर्चना की मान्यता है।

2018 का शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 10 अक्टूबर 2018 यानी आज बुधवार से हो रहा है। इस बार मां दुर्गा नाव पर सवार होकर आ रही हैं। इस वर्ष नवरात्रि पूरे 9 दिन की है, इससे पूरा संयोग ही बेहद शुभ है।    

शैलपुत्री के पूजन से प्रारंभ

नवरात्रि का शुभारंभ शैलपुत्री के पूजन से होता है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती देवी ही शैलपुत्री के नाम से विख्यात हैं। हिमराज एवं उनकी पत्नी मैना देवी की घोर तपस्या, प्रार्थना से प्रसन्न होकर आद्यशक्ति दुर्गा कन्या रूप में उनके यहां प्रकट हुईं। नवरात्रि के प्रथम दिन इन्हीं की पूजा-अर्चना की मान्यता है।          

शैलपुत्री के लिए मन्त्र


शिवरूपा वृष वहिनी हिमकन्या शुभंगिनी।

पद्म त्रिशूल हस्त धारिणी

रत्नयुक्त कल्याण कारीनी।।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त


प्रतिपदा इस दिन प्रातः 7:56 तक ही है। अतः प्रतिपदा में कलश-स्थापन प्रातः 7:56 तक करना उचित है, किंतु यदि यह सम्भव न हो सके तो दिन में 11:37 से 12:23 के मध्य अभिजीत योग में भी कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है।

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Posted By: Kartikeya Tiwari