देवी पार्वती की ही रौद्र रूप हैं चंद्रघण्टा माता। 10 भुजाओं वाली माता शेरनी पर सवार रहती हैं। उनकी दसों भुजाएं अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित हैं। वे काफी शांत स्वभाव की हैं लेकिन युद्ध के समय उनका रौद्र रूप दिखाई देता है।

आह्लादकारी चन्द्रमा, जिनके घण्टा में स्थित हैं उस देवी का नाम चन्द्रघण्टा है तथा इनकी घण्टा ध्वनि से रोग, दोष एवं दुष्टों का नाश होता है। इनकी आराधना नवरात्रि के तृतीय दिन दुर्गा के तीसरे रूप में होती है।

देवी पार्वती की ही रौद्र रूप हैं चंद्रघण्टा माता। 10 भुजाओं वाली माता शेरनी पर सवार रहती हैं। उनकी दसों भुजाएं अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित हैं। वे काफी शांत स्वभाव की हैं लेकिन युद्ध के समय उनका रौद्र रूप दिखाई देता है।  

मां की कृपा से मिलता है सुखी जीवन


माता के माथे पर चंद्रमा चमकते हैं, इस वजह से ही इनका नाम चंद्रघण्टा पड़ा है। माता का संबंध शुक्र से है। अगर आपका शुक्र खराब हो तो आपको माता चंद्रघण्टा की पूजा करनी चाहिए। इससे शुक्र के बुरे प्रभाव दूर होते हैं।

इस माता की अराधना करने से भक्तों को सुखी गृहस्थ जीवन मिलता है, ऐश्वर्य और समृद्धि मिलती है। जिनका विवाह नहीं हुआ है अगर वो माता की पूजा करें तो उनके विवाह की बाधाएं खत्म होती हैं।

परिवार को हर तरह की बुराइयों से बचाती है

देवी दुर्गा का यह रूप उस मां का प्रतीक है जो अपने परिवार को हर तरह की बुराइयों से बचाती है। इतना ही नहीं यह रूप उस मां का भी प्रतीक है जो अपने बच्चों को साहसी बनाती है।

पूजा विधि


गाय के गोबर के उपले जलाकर उसमें घी, हवन सामग्री, बताशा, लौंग का जोड़ा, पान, सुपारी, कपूर, गूगल, इलायची, किसमिस, कमलगट्टा अर्पित करें। फिर नीचे दिए गए मंत्र का उच्च्चारण करें।

मन्त्र-

आह्लादकरिनी चन्द्रभूषणा हस्ते पद्मधारिणी।

घण्टा शूल हलानी देवी

दुष्ट भाव विनाशिनी।।

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Posted By: Kartikeya Tiwari