Navratri Day 2 शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। आइए जानें कि किस तरह उनकी पूजा करने से वह प्रसन्‍न होती हैं। देवी के नौ रूपों में से यह उनका दूसरा रूप है।


देवी दुर्गा अपने दूसरे रूप में ब्रह्मचारिणी के नाम से जानी जाती हैं। उनका यह रूप एक ऐसी कन्या का प्रतीक है, जो बाधाओं पर पार पाने वाली और अपने तप के बल पर इच्छित कर पाने के लिए हर प्रकार की कठिनाइयों का सामना करने वाली हैं। देवी दाहिने हाथ में जप माला व बाएं हाथ में कमण्डल धारण करती हैं। यह माना जाता है कि वह भाग्यदाता ग्रह मंगल का नियमन करती हैं।    पूजन से मिलती है कार्यों में सफलता


देवी के दूसरे रूप मां ब्रह्मचारिणी की विधिपूर्वक पूजा करने से साधक को जहां कई तरह के रोगों से मुक्ति मिल सकती है वहीं उसे अपने कार्यों में सफलता भी मिलती है। कहते हैं कि शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन देवी के इस रूप की आराधना करने से श्रेष्ठ बुद्धि की प्राप्ति होती है, वहीं अध्ययन, व्यापार, कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है। इतना ही नहीं देवी के इस रूप का आशीर्वाद प्राप्त करने वाला साधक विवेकशील होता है। यह भी कहा जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से आंत, श्वांस, गला, वाणी, नासिका, त्वचा, मस्तिष्क आदि रोगों से मुक्ति मिलती है।पूजा विधि, भोग व कथा  

शारदीय नवरात्रि में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में चंपा, गुड़हल का फूल चढ़ाने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए स्नान आदि के बाद शांत चित्त से उनकी आराधना करें। उन्हें दूध व दूध से बने व्यंजनों का भोग लगाएं। कथा है कि भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए मां ब्रह्मचारिणी ने हजारों वर्षों की कठिन तपस्या की थी। कथा के अनुसार उन्होंने तीन हजार वर्ष तक सिर्फ बिल्व पत्र का सेवन किया व उसके बाद बिना अन्न जल के भगवान शिव की आराधना की।

Posted By: Mukul Kumar