शारदीय नवरात्रि की शुरुआत रविवार से हो रही है। इस बार कोई तिथि क्षय नहीं होने से पूरे दस दिनों तक माता अम्बे की पूजा होगी।


पटना (ब्यूरो)। शारदीय नवरात्रि को सभी नवरात्रों  में सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण माना जाता है। आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से विजया दशमी तक होती है माता की आराधना। कर्मकांड विशेष ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री ने बताया कि इस वर्ष शारदीय नवरात्रि हस्त नक्षत्र एवं ब्रह्म योग में आरंभ होकर 8 अक्टूबर दिन मंगलवार को विजयादशमी के साथ संपन्न होगा। इस नवरात्रमें माता अपनों भक्तों को दर्शन देने के लिए हाथी पर आ रही है माता के इस शुभ आगमन से श्रद्धालुओं को मनचाहा वरदान और सिद्धि की प्राप्ति होगी। इसके साथ ही माता की विदाई चरणायुध यानि कक्कुट पर होगी। माता इस आगमन से भारतवर्ष में आने वाले साल में समुचित बारिश की संभावना होगीमिलेगी सुखसमृद्धि पूजन से शुभ फल


शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि व्रत-पूजा में कलश स्थापन का महत्व अधिक है, क्योंकि कलश में ही ब्रह्मा, विष्णु, रूद्र, नवग्रहों सभी नदियों, सागरों-सरोवरों, सातों द्वीपों, षोडश मातृकाओं, चौसठ योगिनियों सहित सभी तैंतीस करोड ̧ देवी-देवताओं का वास रहता है, इसीलिए विधिपूर्वक कलश पूजन से सभी देवी-देवताओं का पूजन हो जाता है। नवरात्रि में कलश स्थापना का खास महत्व होता है

सिटी के पूजा पंडाल राशि के अनुसार आराधना ज्योतिषी पंडित राकेश झा शास्त्री के बताया कि भगवती पुराण के अनुसार नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। तीन वर्ष से नौ वर्ष की कन्याएं साक्षात माता का स्वरूप मानी जाती है। छल-कपट से दूर ये कन्याएं पवित्रबताई जाती हैं। कहा जाता है कि जब नवरात्रि में माता पृथ्वी पर आती हैं तो सबसे पहले कन्याओं में ही विराजित होती हैं। patna@inext.co.in

Posted By: Shweta Mishra