नवरात्रि में में कन्‍या पूजन करना काफी शुभ माना जाता है। इससे माता रानी प्रसन्न होती है। कन्या पूजन के लिए अष्‍टमी और नवमी त‍िथ‍ि खास मानी जाती है। यहां जानें शुभ मुहूर्त व कन्या पूजन से जुड़ी अन्य खास बातें...


कानपुर (इंटरनेट-डेस्क)। शारदीय नवरात्र पर्व के दौरान कन्या पूजन एक बेहद खास अनुष्ठान है। इसे कजंक पूजन या कुमारी पूजा के नाम से भी पुकारा जाता है। मान्‍यता है कि नौ कन्याओं की नौ देवियों के प्रतिबिंब के रूप में पूजा करने के बाद ही नवरात्रि पूर्ण होती है। इसमें कन्‍याओं को हलुआ-पूरी, खीर-पूरी जैसे अलग-अलग व्‍यंजन खिलाए जाते हैं। अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन ज्यादा शुभ माना जाता है। द्रिक पंचांग अष्टमी तिथि पर कुमारी पूजा उल्लेखित करता है। इसके मुताबिक इस बार नवरात्रि में अष्टमी अक्टूबर 23, 2020 को सुबह 06:57 बजे से अक्टूबर 24, 2020 को सुबह 06:58 बजे तक रहेगी। कन्या पूजन करने पर मां दुर्गा प्रसन्न होती


नवरात्रि में यूं तो कन्‍या पूजन के किसी भी दिन कर सकते हैं लेकिन नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन खास माना जाता है। यह माता के विदाई का समय होता है। इस दौरान नौ देवियों के रूप में कन्या पूजन करने पर मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती है और अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती है। कन्या पूजा के लिए स्वस्थ तथा सभी प्रकार के रोगों व शारीरिक दोषों से मुक्त कन्या उपयुक्त होती है। कन्‍याओं के उम्र के हिसाब से अलग-अलग रूप

कन्या पूजन के लिए दो साल से 10 साल तक की कन्याओं को आमंत्रित करना चाहिए। शास्‍त्रों में कन्‍याओं के उम्र के हिसाब से अलग-अलग रूप हैं। ये कन्यायें दुर्गा के विभिन्न रूपों जैसे दो वर् की कुमारिका, तीन वर्ष की त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कल्याणी, पांच वर्ष की रोहिणी, छह वर्ष की काली, सात वर्ष की चंडिका, आठ वर्ष की शाम्भवी, नौ वर्ष की दुर्गा और और दस साल की कन्या सुभद्रा का प्रतिनिधित्व करती हैं।

Posted By: Shweta Mishra