चैत्र नवरात्र में तीन दिन एक ही योग
prayagraj@inext.co.in
PRAYAGRAJ: मां भगवती की आराधना का पर्व नवरात्र शनिवार से शुरू हो रहा है. चैत्र नवरात्र में इस बार मां का पूजन-अर्चन करने के लिए तीन अलग-अलग दिन ऐसा संयोग बन रहा है जिसमें भक्तों के लिए अनंत फलदायक साबित होगा. इसकी बड़ी वजह यह है कि नवरात्र की द्वितीया, चतुर्थी व पंचमी तिथि को दिनभर सर्वार्थ सिद्धि योग व्याप्त रहेगा. ज्योतिषाचार्य पं. विद्याकांत पांडेय ने बताया कि यदि किसी कार्य को करने की स्थिति में कोई आवश्यक मुहूर्त नहीं मिल पा रहा हो तो व्यक्ति आंख बंद करके सर्वार्थ सिद्धि योग में उसे शुरू कर सकता है. जिसका जातकों को कई गुना पुण्य फल मिलता है.
- इसके बाद द्वितीया तिथि लग जाएगी. इसलिए उदया तिथि की वजह से नवरात्र का प्रारंभ छह को ही माना जाएगा.
- कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त लाभ व चौघडि़या और शुभ अभिजीत मुहूर्त में किया जाना सर्वोत्तम है.- इस नवरात्र में प्रात: काल सुबह 7.20 बजे से लेकर सुबह 8.53 बजे तक शुभ चौघडि़या मुहूर्त व्याप्त रहेगा.- जो इस मुहूर्त में स्थापना नहीं कर सकता वह अभिजीत मुहूर्त में पूर्वान्ह 11.30 बजे से लेकर दोपहर 12.18 बजे के बीच कलश स्थापित कर सकता है.
कलश स्थापना की विधिप्रतिपदा के दिन स्नान कर पूजा स्थल को शुद्ध किया जाना चाहिए. लकड़ी के आसन पर लाल रंग का वस्त्र बिछाना चाहिए. ज्योतिषाचार्य श्री पांडेय ने बताया कि वस्त्र पर श्रीगणेश जी का स्मरण करते हुए चावल रखना चाहिए, मिट्टी की वेदी बनाकर उस पर जौ बोएं फिर इस पर जल से भरा मिट्टी विधि-विधान से स्थापित किया जाना चाहिए. कलश पर रोली से स्वास्तिक या ओउम बनाकर कलश के मुख पर रक्षा सूत्र भी बांधना चाहिए. उसके बाद एक नारियल लेकर उस पर चुनरी लपेटे और देवी-देवताओं का आहवान कर दीप जलाना चाहिए. कलश की पूजा के बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए.नवमी को होगा हवन-पूजन
चैत्र नवरात्र के दौरान 13 अप्रैल को महा नवमी का व्रत किया जाएगा. क्योंकि उस दिन सुबह 8.16 बजे के बाद ही नवमी तिथि लग जाएगी. जो 14 अप्रैल को सुबह छह बजे तक ही विद्यमान रहेगी. इसलिए नवमी तिथि में ही नवरात्र संबंधित हवन-पूजन दशमी तिथि को सुबह छह बजे तक किया जा सकेगा.
नवरात्र में नौ दिनों तक व्रत रखने वाले दशमी तिथि को सुबह छह बजे के बाद पारण कर सकते हैं.
- पं. विनय कृष्ण तिवारी, ज्योतिषाचार्य
- पं. विद्याकांत पांडेय, ज्योतिषाचार्य