देश के पूर्वी तट की निगरानी और समुद्री क्षमता को और अधिक मजबूती देने के लिये नौसेना ने एक और ठोस कदम बढ़ा लिया है.

4 सितंबर को आयेगा सुमित्रा
खबरों के मुताबिक, नौसेना के गश्ती युद्धपोत INS सुमित्रा को 4 सितंबर को भारतीय नौसेना में शामिल कर दिया जायेगा. कमांडर मिलिंद मोकाक्षी इसके पहले कमांडिंग ऑफिसर हैं. उन्होंने कहा कि चेन्नै के पूर्वी समुद्र तट की निगरानी और नौसेना गश्ती में मदद मिलेगी. चीफ ऑफिसर नेवल स्टाफ एडमिरल आर.के.धवन गुरुवार को इस पोत को नेवी में शामिल करेंगे.

सबसे बड़ा पोत

सूत्रों का कहना है कि यह INS सुमित्रा नेवी में शामिल होते ही समुद्री लूट के खिलाफ नौसेना के सक्रिय अभियान को प्रोत्साहन मिलेगा. इस पोत का निर्माण गोवा शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है. यह करीब 105 मीटर लंबा और 13 मीटर चौड़ा है. इसके साथ ही इस पोत की क्षमता 2,200 टन माल ढोने की है. यह नौसेना में अपने तरह का सबसे बडे आकार का पोत है. पोत को हल्के अत्याधुनिक हेलिकॉप्टर के अनुकूल भी बनाया गया है. INS सुमित्रा पर 8 अधिकारी और 105 नाविक होंगे.  
सबसे बड़ा युद्धपोत, नेवी बनेगी स्मार्ट
आपको बता दें कि इससे पहले 16 अगस्त को पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वदेशी तकनीक से निर्मित देश के सबसे बड़ा युद्धपोत को नेवी को सौंपा था. इस पोत को नौसेना के पश्चिमी बेड़े को समर्पित किया गया. रडार की पकड़ में नहीं आने वाले 6,800 टन वजनी कोलकाता श्रेणी के इस युद्धपोत का डिजाइन इंडियन नेवी के डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है. आपको बता दें कि मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) ने इसके निर्माण का काम सितंबर, 2003 में शुरू किया था. यह अपनी श्रेणी का पहला युद्धपोत है. इंडिया की इसी तरह के दो अन्य युद्धपोत बनाने की योजना है. इस जंगी पोत में अत्याधुनिक हथियार प्रणालियां लगाई गई हैं, जिसमें पनडुब्बी रोधी प्रौद्योगिकी भी शामिल है. इस युद्धपोत में सतह से सतह पर मार करने वाली अत्याधुनिक ब्रह्मोस मिसाइलें, रॉकेट लांचर, टॉरपीडो ट्यूब लांचर, सोनार हमसा, ईडब्ल्यूएस एलोरा व एके-630 बंदूकें मौजूद हैं, जो समुद्री व हवाई हमले के दौरान दुश्मन के दांत खंट्टे करने में सक्षम हैं.

रु्फ्तार में आयेगी तेजी
अगर हम INS कोलकाता की रफ्तार की बात करें तो यह 30 नॉटिकल मील प्रति घंटा होगी. यह नेवी के दो सी विंग हेलीकॉप्टर अपने साथ ले जाने की क्षमता वाला पोत है. इसके अलावा इसमें ऊर्जा आपूर्ति के लिये 4 गैस टर्बाइन जेनरेटर लगे हैं, जो कम से कम किसी छोटे मोटे शरि को रोशनी उपलब्ध करा सकता है. इसके साथ ही इसमें सतह से सतह पर मार करने वाली अत्याधुनिक ब्रह्मोस मिसाइलें, रॉकेट लांचर, टॉरपीडो ट्यूब लॉन्चर, सोनार हुमसा, EWS एलोरा और एके-360 बंदूकें शामिल हैं. पोत का नामकरण वेस्ट बंगाल की राजधानी कोलकाता के नाम पर किया गया है, जो ईस्ट इंडिया का सबसे बड़ा महानगर है. 

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari