DEHRADUN : आपदा के बाद राज्य के कई इलाके रेड कॉरिडोर ना बन जाएं इसको लेकर सरकार ने गंभीरता से विचार करना शुरू कर दिया है. इस गंभीर मुद्दे पर की जा रही चिंता यूं ही नहीं है इसके पीछे अहम वजह भी है. उत्तराखंड भी नक्सल से अछूता नहीं रहा है. वर्ष 2004 में नैनीताल के सुदूर सौफुटिया जंगल में माओवादियों द्वारा नक्सल ट्रेनिंग कैंप चलाने का मामले सामने आ चुका है. प्रदेश से लगने वाली नेपाल की सीमा पर भी माओवादी गतिविधि की दस्तक कई बार महसूस की जा चुकी है. इस लिहाजे से इंटेलिजेंस विभाग द्वारा आयोजित की गई इस वर्कशॉप को हर पहलू से महत्वपूर्ण माना जा रहा है.


बेरोजगारी बन सकती है प्रॉब्लम दरअसल, देश के जिन-जिन हिस्से में लाल सलाम का झंडा बुलंद है वहां बेरोजगारी व शिक्षा का अभाव होना मुख्य कारण माना गया। आपदा के बाद राज्य के भी कई इलाके ऐसे है जहां रोजगार का बड़ा संकट बना हुआ है। खुद मुख्यमंत्री भी मानते है जिन स्थानों पर आपदा के बाद रोजगार की समस्या सामने आई वहां विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इसके अलावा सरकार आपदा राहत के मानकों रिलैक्सेसन देने के साथ ही राहत राशि को कई गुना बढ़ाया ताकि, किसी के सामने आर्थिक संकट ना हो। उन्होंने कहा एजेंसियों के मध्य बेहतर समन्वय, सूचनाओं को साझा करने, सीमा पर विशेष निगरानी के जरिए माओवाद को प्रभावी तरीके से रोका जा सकता है।होम डिपार्टमेंट कर चुका है वार्न
आपदा के करीब चार माह बाद हुए इस वर्कशॉप को भले ही केवल सेंसटाइज करने के उद्देश्य से बताया जा रहा हो, लेकिन इसके पीछे एक अहम कारण आईबी(इंटेलिजेंस ब्यूरो) की रिपोर्ट भी है। जो बीते सितंबर माह में केंद्रीय गृह विभाग दिल्ली को सौंपी गई। रिपोर्ट में बताया गया है कि किस तरह माओवादी गतिविधियां देश के अलग-अलग हिस्से में बढ़ रही है। पहले से चल रहे संगठन तो थे ही साथ अब 128 नए फ्रंट ऑर्गनाइजेशन भी चिन्हित किए गए। केंद्र को जैसे ही ये रिपोर्ट मिली देश के सभी स्टेट्स को एलर्ट रहने के लिए लेटर भेजा गया।टारगेट पर उत्तराखंड भी आईबी द्वारा केंद्रीय गृह विभाग को सौंपी गई रिपोर्ट में जो सबसे परेशान करने वाली बात है वो यह कि, लेफ्ट विंग छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, वेस्ट बंगाल और आंध्र प्रदेश में तो काम कर ही रहा है साथ ही उसने कई दूसरे राज्यों में भी दस्तक देना शुरू कर दिया है। जिसमें दिल्ली, हरियाणा, कर्नाटका, तमिलनाडु, केरला के साथ उत्तराखंड भी शामिल है। इसमें सबसे अधिक अर्लामिंग सिचुएशन दिल्ली और नेशनल कैपिटल रीजन (एनसीआर) में बताई गई। मॉर्डनाइजेशन के लिए दो करोड़


वर्कशॉप के दौरान मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने प्रदेश पुलिस को आधुनिकरण के लिए दो करोड़ रुपए देने की घोषणा की। वहीं स्टेट के इंटेलिजेंस व सीबीसीआईडी के गैर राजपत्रित कर्मियों के लिए 30 प्रतिशत स्पेशल भत्ता दिए जाने का एलान भी सीएम द्वारा किया गया। वर्कशॉप में कैबिनेट मिनिस्टर हरक सिंह रावत, चीफ सेक्रेटरी सुभाष कुमार, एडिशनल चीफ सेक्रेटरी राकेश शर्मा, चीफ सेक्रेटरी होम ओमप्रकाश, एसएस संधू चीफ सेक्रटरी, बीएस सिद्धू डीजीपी , एडीजी अनिल रतूड़ी, सेक्रेटरी होम मंजुल जोशी, आईजी राम सिंह मीणा, आईजी इंटेलिजेंस दीपक ज्योति घिल्डियाल, एसके अग्रवाल जीओसी उत्तराखंड सब एरिया, डीएस गब्र्याल कमिश्नर गढ़वाल रेंज, अमित सिन्हा डीआईजी गढ़वाल रेंज, जीएन गोस्वामी डीआईजी कुमांऊ रेंज के साथ प्रदेश के सभी जिले के डीएम व पुलिस कप्तान मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive