RANCHI : नक्सली और नक्सली समर्थक अपनी पहचान छिपाकर शहर में रह रहे हैं। स्पेशल ब्रांच की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि नक्सली वैसे इलाकों में रह रहे हैं, जहां पुलिस की मूवमेंट थोड़ी कम है। स्पेशल ब्रांच के मुताबिक, नक्सल समर्थक अपनी पहचान बदलकर किराए के मकानों में रहते हैं। वे दिनभर पुलिस की गतिविधियों की जानकारी हासिल करते हैं और फिर मोबाइल फोन के जरिए नक्सली संगठन के एरिया कमांडर को इसकी जानकारी देते है। पुलिस गतिविधि की जानकारी मिलने के बाद ही नक्सली अपनी रणनीति बनाते हैं स्पेशल ब्रांच की रिपोर्ट की मिलने के बाद रांची पुलिस नक्सल समर्थकों को पकड़ने के लिए छापेमारी अभियान चला रही है। गौरतलब है कि नामकुम और हटिया के इलाकों में नक्सली व नक्सल समर्थकों के छिपकर रहने की बात सामने आई है। सोर्सेज के मुताबिक, ये मजदूर, फेरीवाले अथवा रिक्शाचालक के रूप में पुलिस की गतिविधियों पर नजर रखते हैं।

रांची पुलिस ने कसा शिकंजा

रांची पुलिस का नक्सलियों और नक्सल समर्थकों के खिलाफ अभियान जारी है। कुछ दिनों पहले पुलिस ने हटिया के प्रेमनगर मोहल्ले में रहनेवाली तपकरा पंचायत की मुखिया और पीएलएफआई के एरिया कमांडर जिदन गुडि़या की पत्नी के घर से नकद सात लाख रुपए बरामद किए थे। पुलिस को आशंका है कि ये लेवी में वसूले गए रुपए थे। हालांकि, पुलिस को चकमा देकर मुखिया फरार होने में सफल रही थी। पीएलएएफआई के एरिया कमांडर जिदन गुडि़या की पत्नी के घर से रुपए की बरामदगी से साफ पता चलता है कि रांची शहर से नक्सलियों का कनेक्शन बना हुआ है।

नक्सली समर्थक की गिरफ्तारी

जगन्नाथपुर पुलिस ने कुछ दिन पहले राकेश उर्फ महादेव के घर से नक्सल समर्थक होने के आरोप में दिनेश सोनी को गिरफ्तार किया था। दिनेश ने अपने कंफेशन में कहा था कि वह नक्सलियों तक जानकारी देने का काम करता था। इसके अलावा जेल में बंद नक्सलियों तक सामान पहुंचाने के साथ अदालत से संबंधित जानकारी उन्हें देने की भी बात उसने कही थी।

मकान मालिकों का निर्देश

शहर में पहचान छिपाकर नक्सलियों व नक्सल समर्थकों के रहने की बात सामने आने के बाद रांची पुलिस ने मकान मालिकों को कड़े निर्देश जारी किए हैं। मकान मालिकों को स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि वे जिन्हें घर किराए पर दे रहे हैं उनके वोटर आईडी गारंटर समेत अन्य डॉक्यूमेंट्स की जांच कर लें। इसके अलावा वैसे स्थानीय लोग, जो पिछले दो-चार सालों से उन्हें जानते हैं, उनकी भी सहमति ले लें। इतना ही नहीं, किराएदार का विस्तृत विवरण थाने में भी जमा करें। अगर कोई इस निर्देश की अवहेलना करता है और उसके घर से नक्सली अथवा नक्सल समर्थक पकड़ा जाता है, तो उसके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

Posted By: Inextlive