लापरवाही की भेंट चढ़ा शास्त्रीय संगीत कंप्टीशन!
- आचार संहिता का बहाना बनाकर अधिकारी कर रहे लापरवाही
- 1975 से हर साल हो रही है प्रतियोगिता LUCKNOW: 41 साल से लगातार हो रही है शास्त्रीय संगीत प्रतियोगिता जिम्मेदारों की लापरवाही से इस बार अधर में अटकी हुई है। जिसकी वजह से इसमें हिस्सा लेने का सपना संजोए युवा प्रतिभागी निराशा हैं। वर्ष 1975 से संगीत नाटक अकादमी की ओर से हर साल इसका आयोजन किया जाता है। इस दौरान कई बार लोकसभा व विधानसभा चुनाव भी हुए, लेकिन कंप्टीशन पर कोई फर्क नही पड़ा। वहीं इस बार अध्यक्ष से लेकर संस्कृति सचिव आचार संहिता के चलते प्रतियोगिता ना होने की बात कह रहे हैं। उधर, रोजाना प्रतिभागियों के फोन इंक्वायरी के लिए आ रहे हैं। इससे पहले भी कर चुके हैं खेलसंगीत नाटक अकादमी की स्थापना का उद्देश्य नए कलाकारों की प्रतिभा को बाहर लाकर उनको मंच प्रदान करना था। इसी उद्देश्य के साथ शास्त्रीय संगीत प्रतियोगिता की शुरुआत की गई थी, लेकिन अब संगीत अकादमी सफेद हाथी साबित हो रही है। इसकी मुख्य वजह इसका संरक्षण ऐसे लोगों के हाथ में होना है जो संगीत अकादमी की ओर ध्यान न देकर अपने प्राइवेट कार्यक्रम में लगे हैं। इससे पहले भी अधिकारियों ने अकादमी के स्थापना दिवस पर एक प्राइवेट कंपनी के प्रोग्राम को अपना बताकर वाहवाही लूटने की कोशिश की थी जबकि स्थापना दिवस के लिए अलग से बजट निर्धारित था।
वोटिंग के दिन हुआ था प्री राउंड आचार संहिता का रोना रोने वाले जिम्मेदार अधिकारी शायद यह बात भूल गये कि 2012 में मुजफ्फर नगर में वोटिंग के दिन शास्त्रीय संगीत प्रतियोगिता का प्री राउंड हुआ था। जानकारों की मानें तो लगातार होने वाले प्रोग्रामों पर चुनाव आयोग की ओर से रोक नहीं लगायी जाती है। ऐसे में जिम्मेदार बस अपनी जिम्मेदारियों से बचने के लिए प्रतियोगिता को कैंसिल कराने में लगे हुए हैं। मुझे तो अब पता चल रहा है कि प्रतियोगिता हुई ही नहीं। यह तो सचिव और अध्यक्ष तय करते हैं। उसके बाद अगर कोई परेशानी हो तो हमें बतायें अगर चुनाव बाद समय रहा तो मैं कोशिश करुंगा करवाने की। डॉ। हरिओम शर्मा संस्कृति सचिव प्रतियोगिता की परमीशन के लिए मुख्यसचिव की अध्यक्षता में बनी कमेटी को पत्र भेजा गया था। जहां से निर्वाचन आयोग को रिफर किया गया। अभी तक कोई परमीशन नहीं मिली है परमीशन मिलने पर प्रतियोगिता करायी जाएगी। जगदीश प्रसाद सचिव, एसएनए