'भारत रत्न' एवं नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का गुरुवार रात को 95 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है. नेल्सन मंडेला ने दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद वाली सरकार की जगह एक लोकतांत्रिक बहुनस्ली सरकार बनाने के लिए लंबा संघर्ष किया और इसके लिए वे 27 साल तक जेल में रहे.


जेल से बाहर आने के बाद, उनका साक्षात्कार करने वाले भारत के पहले पत्रकार सईद नक़वी से मंडेला के साथ हुई उनकी बातचीत के अनुभवों को जानने के लिए, कुछ दिनों पहले उनसे बात की थी बीबीसी संवाददाता रेहान फ़ज़ल ने.सईद अपने साक्षात्कार यात्रा की शुरुआत के बारे में कहते हैं, ''जब ये तय हुआ कि फ़रवरी में किसी भी दिन मंडेला जेल से बाहर आएंगे, तो ज़ाहिर था कि हमें केपटाउन जाना पड़ता क्योंकि ये जेल केपटाउन के पास थी."सईद ने बताया, "न तो हमें ये पता था कि वो किस दिन और किस समय जेल से बाहर आएंगे. हमें पता था कि जेल के बाहर लोगों की भारी भीड़ होगी, तो ऐसे में उनसे बात करना बहुत मुश्किल होगा और वहाँ हमारी आवाज़ कौन सुन पाता.''जेल से बाहर


सईद कहते हैं कि मंडेला अमीना के साथ बिल्कुल एक दोस्त की तरह बैठे हुए थे औऱ बात कर रहे थे. हमारे पहुँचने पर अमीना ने मंडेला से मेरा परिचय कराया.

सईद नक़वी मंडेला के साथ हुई अपनी बातचीत को याद करते हुए कहते हैं, ''मंडेला ने मुझसे हाथ मिलाया और फिर एक मिनट रुकने को कहा. इसके बाद उन्होंने रेडियो पर बीबीसी का एक कार्यक्रम 'अफ्रीका कॉलिंग' लगाकर अमीना को सुनने को दिया. एक बच्चे की तरह उनकी इस बात में दिलचस्पी थी कि दुनिया का उनकी रिहाई पर क्या कहना है. जेल से छूटने के बाद लोग कैसी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.?''सईद बताते हैं कि बातचीत के बाद बिशप टूटू खाने के लिए बुलाने आए तो उन्होंने कहा कि आप लोग भारत से आए हैं इसलिए जान लीजिए कि मंडेला ने जेल से निकलने के बाद हमसे उस खाने का अनुरोध किया था जो उन्होंने पिछले 27 सालों से नहीं खाया था.नक़वी कहते हैं, ''जब खाने की टेबल पर हम खाना खाने बैठे तो खाने में भारतीय चिकन करी और चावल थे. वाकई वो भी एक ऐतिहासिक क्षण था.''सईद कहते हैं कि इसके बाद जब हम मेंशन से बाहर निकल तो लोग हमसे पूछने लगे कि मंडेला से क्या बात हुई और हमने जो-जो बताया वही ख़बर बन गई.

Posted By: Subhesh Sharma