-नेपाल के जलजले में आठ घंटे तक फंसे रहे मुगलसराय के चार युवक, घर लौटने पर परिजनों के जान में आई जान

-चारों दोस्त 24 अप्रैल को गये थे पशुपतिनाथ मंदिर का दर्शन करने, भूकम्प के भयावह सीन को देख कांप उठा था कलेजा

VARANASI: नेपाल के जलजले में फंसकर अपनों का ताउम्र के लिए साथ छोड़ चुके लोग तो अब कभी वापस नहीं लौट कर आयेंगे। लेकिन जो बच गये हैं वह भगवान का लाख-लाख शुक्रिया अदा कर रहे हैं। नेपाल के पोखरा एरिया में भूकम्प के विनाशकारी झटकों में बाल-बाल बचे मुगलसराय के चार युवक ब्8 घंटे बाद सोमवार को सकुशल अपने घर लौट आये। इनसे नेपाल के जलजले की दास्तान सुनकर अपनों के साथ ही अन्य सभी इसे ईश्वर की कृपा मान रहे हैं। चारों युवकों की जुबानी मानें तो आठ घंटे तक बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स को ढहते, सड़क को बीच से फटते देख इनका कलेजा कांप उठा था।

बस गुफा से निकलते ही

मुगलसराय के चतुर्भुजपुर निवासी बिजनेसमैन अनिल कुमार, अशोक कुमार, प्रशांत और राकेश कुमार चारों दोस्त ख्ब् अप्रैल को नेपालके पशुपतिनाथ मंदिर में दर्शन पूजन के लिए गये थे। अनिल ने बताया कि ख्भ् अप्रैल की भोर में पोखरा पहुंचे। यहां एक होटल में रुकने के बाद सुबह दस बजे कार से पोखरा एरिया के सबसे फेमस चेमरा गुफा देखने के निकले। गुफा में पहुंचने के कुछ ही देर बाद धमाके जैसी आवाज आनी शुरू हो गयी। हमें लगा कि गुफा है, इसलिए यहां ऐसा हो रहा है। लेकिन जैसे ही गुफा से बाहर निकले तो देखा कि सब लोग इधर उधर भाग रहे थे। कुछ ही दूर पहुंचे थे कि तेज धमाके के साथ गुफा जमींदोज हो गया, यह देख हम लोगों का रूह कांप उठा।

बड़ी-बड़ी चट्टानों से बच गये

चारों दोस्तों ने बताया कि भूकम्प आने के बाद हम लोग भी भागने लगे, पहाड़ी इलाका होने के कारण बड़ी-बड़ी चट्टानें सामने आकर गिर रही थीं। हम लोग मान बैठे कि अब जान नहीं बचेगी। लेकिन काफी जद्दोजहद के बाद हम लोग किसी तरह होटल पहुंचे। लेकिन होटल वाले ने कहा कि रूम खाली करना है यहां कोई नहीं रहेगा।

खुले आसमान के नीचे बीती रात

इन चारों ने बताया कि भूकम्प की वह भयावह सीन याद कर रोंगटे खड़े हो जा रहे हैं। होटल से निकलने के बाद हम लोगों ने लगेज के साथ बाहर एक फील्ड में पूरी रात गुजारी। खाने पीने के लिए भी पास में कुछ नहीं था। तब तक बारिश भी शुरू हो गई। अब तक की लाइफ में ऐसी भयावह घटना कभी नहीं देखी थी। फील्ड में हम लोगों के साथ ऐसे सैकड़ों लोग थे, जिनके घर जमींदोज हो चुके थे। ये सब जानकर मन काफी घबरा गया था। पोखरा से लेकर चलने के लिए कोई ड्राइवर तैयार नहीं था। दूसरे दिन किसी तरह एक व्हीकल अधिक पैसे देने पर सोनौली तक छोड़ने के लिए राजी हुआ।

Posted By: Inextlive