नेपाल में इन दिनों हालात काफी बिगड़े चल रहे हैं। सत्ताधारी प्रचंड की सरकार पर राजनीतिक संकट बढ़ता ही जा रहा है। है। वहीं महिला चीफ जस्‍टिस के खिलाफ महाभियोग लाने के चलते सिचुएशन और खराब हो गई है। फिलहाल भारत इस पूरे मामले पर नजर बनाए रखे है।


महिला चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोगनेपाल में चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव संसद में चर्चा के लिए सूचीबद्ध होने के बाद वहां सेना भी सक्रिय हो गई है। टॉप मिलिट्री ऑफिसर्स ने बैठक करके हालात पर नजर होने की बात कही है। माना जा रहा है नेपाल में बिगड़ती पॉलिटिकल सिचुएशंस के बीच इस बात की आशंका है कि आने वाले 14 मई को वहां होने वाले चुनाव भी टाले जा सकते हैं। साथ ही, नेपाल में सत्ताधारी प्रचंड की सरकार पर राजनीतिक संकट बढ़ता जा रहा है और इन सब बिगड़ते हालातों के बीच इंडिया ने भी पूरे सिनेरियो पर अपनी नजरें गड़ा रखी हैं। क्या है मामला?


देश के सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस सुशीला कर्की के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव सत्ता में भागीदार दो राजनीतिक दल लेकर आए हैं। प्रस्ताव पर सत्तारूढ़ नेपाली कांग्र्रेस और नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के 294 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। चीफ जस्टिस पर प्रशासनिक कार्य में दखलंदाजी करने वाला पक्षपातपूर्ण आदेश पारित करने आरोप लगाया गया है। संसद में विचार के लिए प्रस्ताव के सूचीबद्ध होते ही सुशीला कर्की नियमानुसार अपने पद से निलंबित हो गई हैं। वह इसी जून को रिटायर होने वाली हैं।डिप्टी पीएम का भी इस्तीफा

देश के डिप्टी पीएम और होम मिनिस्टर बिमलेंद्र निधि ने महाभियोग प्रस्ताव पर असहमति के चलते पद से इस्तीफा दे दिया है। निधि देश की सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्र्रेस के नेता हैं और उसकी तरफ से सरकार में सबसे ऊंचे पद पर प्रतिनिधित्व कर रहे थे। दूसरे डिप्टी पीएम व विकास मामलों के मंत्री कमल थापा ने भी महाभियोग प्रस्ताव पर अपनी नाखुशी जाहिर की है। थापा सरकार में शामिल राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेता हैं। कम्युनिस्ट पार्टी के नेता पुष्प दहल प्रचंड पीएम के रूप में सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।कार्की के समर्थन में आए ओली

इस पूरे घटनाक्रम के बीच नेपाल के फॉर्मर पीएम और सीपीएन-यूएमएल चेयरमैन केपी शर्मा ओली खुलकर कार्की के समर्थन में आ गए हैं। उन्होंने साफ कहा है कि कार्की के खिलाफ जो भी आरोप लगाए गए हैं और जो कार्रवाई हो रही है वह राजनीति से प्रेरित है और उनकी साफ छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने तो यहां तक कहा कि मंगलवार तक कार्की के खिलाफ जो महाभियोग का प्रस्ताव सुझाया गया है उसे वापस ले लिया जाए और वो किसी हाल में इसे पास नहीं होने देंगे। इस मुद्दे पर नेपाली पीएम पुष्पदहल 'प्रचंड' और ओली के बीच सोमवार को मुलाकात भी हुई। वहीं, सीपीएन (माओइस्ट सेंटर) ने इस बाबत सोमवार को पार्टी मीटिंग रखी जिसमें ये निष्कर्ष निकल कर आया कि कार्की के खिलाफ मौजूदा प्रस्ताव जरूरी है और यह ज्यूडिशियरी से करप्शन को दूर कर इसे इंपार्शियल बनाने वाला फैसला साबित होगा।अस्थिरता का शिकार नेपाल-नेपाल पिछले कुछ समय से राजनीतिक अस्थिरता का शिकार है। -यहां पर स्थानीय स्तर के चुनाव 14 मई को प्रस्तावित हैं, जो चरणबद्ध तरीके से जून तक चलने हैं। -ज्यादातर मधेशी दलों ने संविधान में संशोधन के बगैर इन चुनावों का विरोध किया है। -मधेशी दलों का राज्यों की तय की गई सीमाओं को लेकर विरोध है। -इससे उनकी सत्ता में भागीदारी पर फर्क पडऩे की आशंका है। -ताजा घटनाक्रम से चुनाव कार्यक्रम को लेकर असमंजस पैदा हो गया है। -सेना की मीडिया विंग की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि उच्च अधिकारियों ने हालात पर नजर रखने का फैसला किया है। -साथ ही सुरक्षा के इंतजाम चाक-चौबंद कर दिए गए हैं।
-किसी प्रकार की हिंसक स्थिति उत्पन्न होने की चिंता के बीच इंडिया भी पूरे मामले पर नजर बनाए हुए है और वहां के घटनाक्रमों की पल-पल की जानकारी ले रहा है।

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari