नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 'ड्राइवर' 117 वर्षीय निजामुद्दीन का हुआ निधन
इनका असली नाम सैफ़ुद्दीन था और इनकी मृत्यु आजमगढ़ के मुबारकपुर इलाके में अपने घर पर हुई।'कर्नल' निजामुद्दीन के बेटे शेख अकरम ने बीबीसी को बताया, "रात को बाबूजी ने दाल, देसी घी और एक रोटी भी खाई थी।"उन्होंने कहा, "पिछले कुछ दिनों से बाबूजी की तबीयत ढीली चल रही थी और उन्हें सर्दी-ज़ुखाम की शिकायत थी। पिछले हफ़्ते उन्होंने बक्से से आज़ाद हिंद फ़ौज वाली अपनी टोपी निकलवाई और पहन कर घूप में लेटे रहे थे।''
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उनका दावा है कि किसी ने नेताजी पर गोलियां चलाई थीं जिसमे से एक निजामुद्दीन की पीठ पर लगी थी और उसे आज़ाद हिंद फ़ौज में बतौर डॉक्टर काम करने वाली 'कैप्टन' लक्ष्मी सहगल ने ही निकाला था।पीठ पर गोलियों के निशान दिखाते हुए निजामुद्दीन ने दावा किया कि ये गोलियां आज़ाद हिंद फ़ौज की वरिष्ठ अधिकारी कैप्टन डॉक्टर लक्ष्मी सहगल ने निकालीं थी. इसके बाद से ही सुभाष चंद्र बोस ने उन्हें 'कर्नल' कह कर बुलाना शुरू कर दिया। वर्ष 2015 में सुभाष चंद्र बोस की प्रपौत्री राज्यश्री चौधरी भी निजामुद्दीन से मिलने आजमगढ़ गई थीं।2014 के आम चुनावों के दौरान वाराणसी में अपने प्रचार के दौरान भाजपा उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने भी निजामुद्दीन को स्टेज पर बुलाकर उनका सार्वजनिक अभिनन्दन करन के अलावा उनका आर्शीवाद भी लिया था।
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