AGRA: महंगाई डायन खाए जात है. पब्लिक के लिए ये अजूबा ही है कि पिछले दो महीने से 'महंगाई डायनÓ का सामना नहीं करना पड़ा है वरना हर 15 दिनों में किसी न किसी चीज पर रेट बढ़ रहे थे. मतलब ये कि इलेक्शन के डर से महंगाई शांत बैठी हुई है. क्यों न हो सभी को पता है कि वोटर्स को नाराज करना खतरनाक हो सकता है. इन सारी बातों के बीच बड़ा सवाल यही है कि तीन मार्च अंतिम चरण का चुनाव के बाद क्या होगा? खैर मौजूदा माहौल में लोग कह रहे हैं कि चुनाव प्रक्रिया लंबी होनी चाहिए...

ये तूफान से पहले की शांति है
 प्रॉडक्ट    चुनाव घोषणा से पहले          अब
 आटा (सिंपल)     18                          17
 आटा (ब्रांडेड)      21                          19
 चावल (सिंपल)    22                          20
 चावल (ब्रांडेड)     60                          50
 चीनी               34                          32
 रिफाइंड            80                          80
 दाल चना           50                         50
 अरहर              74                         72
 उड़द               62                          60
 सरसो तेल         88                         84
 बेसन ब्रांडेड      60                          60
 हल्दी             120                       115
 मिर्च             145                      140
 धनिया           105                      100
 आलू             15                         7
 टमाटर           18                         10
 प्याज            20                        20
 नींबू              100                     80

     पेट्रो पदार्थ   

 डीजल      43.10        43.10
 पेट्रोल      69.63         69.63
नोट:  चुनाव की घोषणा से कुछ दिन पहले पेट्रो पदार्थों में दो रुपए प्रति लीटर रेट कम हुए थे।


चुनाव के बाद क्या होगा?
यह सही बात है कि इलेक्शन डिक्लेयर होने के बाद महंगाई पर अंकुश लग गया है। इससे सबसे ज्यादा फायदा आम लोगों को हो रहा है.          
-शशि, सर्विसवूमेन


कुछ महीने पहले हर वीक में दाल और मसालों पर रेट बढऩे की बात सामने आती रहती है। इससे घर का बजट भी बिगड़ रहा था। मगर अब वो थम सा गया है।
-रेनू शर्मा, हाउसवाइफ


वोट मांगने के लिए सब घर तक पहुंच जाते हैं, मगर यह कोई नहीं सोचता कि सबसे ज्यादा महंगाई ने आम पब्लिक को परेशान कर रखा है। मगर, इन दिनों महंगाई से बहुत राहत मिल गई है।
-अर्चना भार्गव, सर्विसवूमेन


कई रोज से किसी भी चीज पर रेट बढऩे की बात सामने नहीं आई है। अगर यह सब कुछ इलेक्शन के चलते हो रहा है तो इसका फायदा तो आम पब्लिक को ही हो रहा है।
-किरन, हाउसवाइफ


महंगाई के बढऩे से घर का बजट एक बार फिर ठीक-ठाक हो गया है। वो अलग बात है कि गवर्नमेंट आने के बाद फिर से महंगाई बढ़ जाएगी।
-पंकज, सर्विसमैन
नेता जी, उड़द दाल का भाव मालूम है क्या?
एक महिला परचून की दुकान से महीने का सामान खरीद रही थी और चावल के रेट को लेकर उसकी दुकानदार से काफी बहस भी हुई। खैर, सामान पैक हुआ और रिक्शे का इंतजार हो रहा था। इतने में नेता जी अपने कार्यकर्ताओं के साथ प्रचार करने के लिए पहुंच गए
प्रत्याशी: बहन जी नमस्कार, मैं आपके ही क्षेत्र का प्रत्याशी हूं। प्लीज मुझे ही वोट देना।
महिला: उड़द की दाल के क्या रेट हैं? नेता जी सकपकाते हुए बगले झांकने लगे। (नेता जी के चेले चौक गए। इतना संपर्क कर चुके हैं लेकिन किसी वोटर ने दाल के रेट नहीं पूछे थे)।
इतने में एक चेला बोला, ये कैसा सवाल है? कार्यकर्ता के सवाल को देखते हुए, महिला ने फिर सवाल किया।
महिला: प्याज कितने रुपए किलो है?
भरे मार्केट में ठंड के मौसम में प्रत्याशी महोदय पसीने-पसीने हो गए। वो सोच में पड़ गए कि मैंने इससे वोट ही क्यों मांगा?
महिला: आपको ये भी नहीं पता होगा कि आपकी पार्टी ने पिछले साल कितनी बार महंगाई बढ़ाई होगी। आम पब्लिक परेशान है, अब बताइए कि मैं आपको वोट क्यों दूं?
(बाजार में भीड़ सी जमा हो गई। हर कोई महिला की हिम्मत की दाद दे रहा था। सीनियर सिटीजन सुरेश शर्मा भी वहां मौजूद थे। उन्होंने महिला का साथ दिया.)
सुरेश: पेट्रोल और डीजल के क्या रेट भाई साहब?  नेता जी फिर सन्न रह गए। कुछ बोलते उन्होंने फिर एक सवाल दागा
सुरेश: आपने कितनी बार अपनी गाड़ी में पेट्रोल डलवाया है? (नेता जी सोचने लगे, इतने में नेता जी का चिपकू कार्यकर्ता बोला)
कार्यकर्ता: नेता जी को जरूरत ही क्या है? ऐसे काम करने के लिए हम जो हैं।
महिला : अगर नेता जी आम जरुरतों की कीमतों के बारे में नहीं जानेंगे तो पब्लिक की समस्याओं को क्या समझेंगे और हल क्या निकालेंगे?
सुरेश: हम वोट उसे ही देंगे जो पब्लिक के दर्द को समझेगा।
(नेता जी काफी देर तक चुप थे। भीड़ ज्यादा होने के साथ नेता जी का विरोध शुरू हो गया। उनकी ऑन द स्पॉट आलोचना शुरू हो गई। आखिरकार नेता जी अपनी चुप्पी तोड़ते हैं)
नेताजी : मैं आपकी परेशानी को पूरी तरह से समझ गया। यकीन मानिए मुझे नहीं पता था पब्लिक का दर्द काफी बढ़ चुका है।
(तभी पब्लिक के बीच से आवाज आई)
राम गोपाल : नहीं भाई साहब, वोट मांगने के लिए सब यही कहते हैं। दो घंटे पहले एक नेता जी ने भी बाजार में यही कहा था।
दिनेश बंसल : चुनाव में जो खर्च किया है वो कहां से पूरा करेंगे? खाने-पीने और पेट्रोल के दाम बढ़ा कर या फिर कंट्रोल रेट की शराब पर 30 रुपए बढ़ाकर और क्या?
नेता जी : एमआरपी रेट पर ही तो शराब बिक रही है।
पब्लिक:  चुनाव के बाद भी गारंटी देते हो?
(नेताजी फिर से चुप। उन्होंने अपने चेले को इशारा किया। सभी ने नारे लगाने शुरू कर दिए। हमारा नेता कैसा हो.)

Posted By: Inextlive