सिस्टम ने रोका लखनऊ से लाइसेंस
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दिन के अंदर नई व्यवस्था लागू होने पर मुख्यालय से जारी होना था लाइसेंस 01 दिन निर्धारित था टेस्ट का डाटा परिवहन मुख्यालय लखनऊ भेजने के लिए 02 दिन में डीएल ऑल इंडिया रजिस्टर में दर्ज होना था 03 दिन में ड्राइविंग लाइसेंस मुख्यालय से उपभोक्ता के घर के लिए भेजा जाना था 04 दिनों में संबंधित व्यक्ति के घर ड्राइविंग लाइसेंस पहुंच जाना था आरटीओ में अभी तक नहीं लागू हो सकी ड्राइविंग लाइसेंस की नई व्यवस्था dhruva.shankar@inext.co.inPRAYAGRAJ: दोपहिया या चार पहिया वाहनों सहित कामर्शियल वाहनों के लिए सात दिनों के भीतर ड्राइविंग लाइसेंस लखनऊ मुख्यालय से दिए जाने की नई व्यवस्था पहले ही पायदान पर ध्वस्त हो गई है। मुख्यालय स्तर से पूरे प्रदेश के आरटीओ में अधिकारियों और कर्मचारियों के कार्यो का बोझ कम करने के लिए लखनऊ से ही संबंधित व्यक्ति के पते पर स्मार्ट लाइसेंस निर्गत करना अभी तक संभव नहीं हो पाया है। इसकी बड़ी वजह यही रही कि प्रयागराज में कुंभ मेला के आयोजन को देखते हुए कार्ड बनाने वाली नई कंपनी का चयन नहीं किया जा सका है। इसका नतीजा है कि टेम्परेरी व्यवस्था से काम चलाया जा रहा है। सिस्टम कब तक नई व्यवस्था को इम्प्लीमेंट कर पायेगा, यह भी अभी तय नहीं है। चुनाव की आचार संहिता लागू हो जाने पर यह जून तक लटक भी सकता है।
7 नवंबर को खत्म हुआ था अनुबंध स्मार्ट कार्ड में ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने की जिम्मेदारी कार्यदायी संस्था निक्सी के पास थी इसका कॉन्ट्रैक्ट पिछले साल सात नवंबर को समाप्त हो चुका है उस समय तक नई संस्था का चयन करने की योजना बनाई गई थी इससे पूरे प्रदेश में सात से दस दिनों के भीतर ड्राइविंग लाइसेंस भेजा जाता पिछले साल सात नवंबर के बाद नई व्यवस्था को देखते हुए आरटीओ में परमानेंट लाइसेंस जारी किए जाने की व्यवस्था ठप कर दी गई थी यह स्थिति नवंबर महीने के अंतिम दिन तक बनी हुई थी लखनऊ मुख्यालय से कोई निर्देश नहीं मिला तो एक दिसम्बर से यहां पर पुरानी व्यवस्था के तहत ही लाइसेंस इश्यू किया जाने लगा। प्रतिदिन चार सौ का टेस्टएआरटीओ प्रशासन डॉ। सियाराम वर्मा की मानें तो मुख्यालय से अभी तक कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है। इसलिए पुरानी व्यवस्था के तहत यहीं पर परमानेंट लाइसेंस के लिए टेस्ट व एक महीने के भीतर लाइसेंस जारी किया जा रहा है। नई व्यवस्था लागू हुई नहीं। लेकिन पुरानी व्यवस्था के तहत पिछले वर्ष तीस सितम्बर तक आरटीओ में प्रतिदिन दो सौ लोगों का परमानेंट लाइसेंस के लिए टेस्ट लिया जाता था। नवम्बर में प्रक्रिया ठप होने के बाद जब एक दिसम्बर से फिर पुरानी व्यवस्था लागू की गई तो प्रतिदिन चार सौ लोग आरटीओ पहुंच कर अपने वाहनों के लिए परमानेंट लाइसेंस बनवाने के लिए टेस्ट दे रहे हैं।
मुख्यालय से निर्देश मिलने के बाद हम लोग खुद नई व्यवस्था के लागू होने का इंतजार कर रहे हैं। जब तक व्यवस्था लागू नहीं होती है तब तक यही से ड्राइविंग लाइसेंस निर्गत किया जाएगा। सगीर अहमद, आरटीओ