-न्यू बॉर्न बेबी में बीमारियों का सबसे बड़ा कारण बनकर उभर रहा नाभी में इंफेक्शन, गवर्नमेंट करेगी अवेयर

-वाराणसी के साथ ही चाइल्ड डेथ रेशियो बढ़कर 1,000 में 41 तक पहुंचा गया है

VARANASI : न्यू बॉर्न बेबी के लिए किसी भी प्रकार का इंफेक्शन काल बन रहा है। लेकिन नाभी में इंफेक्शन न्यू बॉर्न बेबी को मौत के द्वार तक पहुंचा रहा है। इनमें उन बच्चों की संख्या ज्यादा है, जो बच्चे घरों में पैदा हो रहे हैं। इसको ध्यान में रखते हुए इन्फेंट (नवजातत) चाइल्ड की डेथ को रोकने के लिए गवर्नमेंट ने एक्शन प्लान तैयार किया है। इसके मुताबिक न्यू बॉर्न बेबी के डेथ रेशियो को कम करने के लिए महिलाओं को और ज्यादा अवेयर किया जाएगा। हेल्थ डिपार्टमेंट 'न्यू बॉर्न बेबी केयर' वीक मनाएगा। 14 से 21 नवंबर तक आयोजित होने वाले डिफरेंट प्रोग्राम में वाराणसी समेत स्टेट में भी इसे रन किया जाएगा। इस अभियान का मकसद जन समुदाय में यह सन्देश पहुंचाना है कि इंफेंट चाइल्ड को लम्बी उम्र देने के लिए वह कौन से तरीके हैं, जिन्हें अपनाना बहुत ही जरूरी है।

असामान्य वजन बड़ा कारण

सिटी के सीनियर बाल रोग एक्सपर्ट डॉ। बीबी राय ने बताया कि नवजात बच्चों में इंफेक्शन और सिवियर डिजीज का सबसे बड़ा कारण बच्चे का असामान्य वजन होता है। 2.5 किलोग्राम से कम वजन के बच्चों में गंभीर बीमारियों और खतरे की संभावना बढ़ जाती है। इसके लिए जरूरी है कि गर्भावस्था के समय महिलाओं के स्वास्थ्य एवं पोषण पर विशेष ध्यान दिया जाए और नियमित जांच कराई जाए। बताया कि घर पर अच्छी तरह से देखभाल कर गंभीर बीमारियों से बचाया जा सकता है। इसके लिए नवजात की मां और घर वालों का जागरूक एवं तत्पर होना आवश्यक है।

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मां का दूध सबसे अच्छा

सेंट्रल गवर्नमेंट ने हाल ही में एसआरएस की रिपोर्ट जारी की है। आंकड़े डराने वाले है। इसके मुताबिक वाराणसी समेत स्टेट में न्यू बॉर्न बेबी डेथ का रेशियो बढ़कर 1,000 में से 41 तक पहुंच गया है। जबकि नेशनल लेवल पर ये मात्र 33 तक सीमित है। यूनिसेफ के आंकड़ों पर गौर करें तो लेटेस्ट रिपोर्ट में न्यू बॉर्न डेथ रेशियो 32 प्रति 1000 जीवित जन्म है। इनमें से 3 चौथाई चाइल्ड की मृत्यु जन्म के पहले हफ्ते में ही हो जाती है, जबकि जन्म के 1 घंटे के अंदर स्तनपान और 6 महीने तक केवल मां का दूध दिए जाने से शिशु मृत्यु दर में 20 से 22 परसेंट तक की कमी आई है।

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कमी लाना ही मकसद

हेल्थ डिपार्टमेंट के मुताबिक कंगारू मदर केयर, स्तनपान और इंफेंट चाइल्ड देखभाल (एचबीएनसी) प्रोग्राम को बढ़ावा देकर भी इंफेंट को हेल्दी लाइफ दी जाएगी। जागरुकता फैलाने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों को पूर्ण रूप से ट्रेंड करने के साथ ही अन्य सहयोगी विभागों और स्वैच्छिक संस्थाओं की भी मदद ली जाएगी।

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ये करें उपाय

-डिलिवरी हॉस्पिटल में ही कराएं, डिलिवरी के बाद 48 घंटे तक उचित देखभाल के लिए अस्पताल में रुकें।

-नवजात बच्चे की नाभि में संक्त्रमण का खतरा बहुत रहता है जिसके लिए नाभि को सूखी एवं साफ रखना आवश्यक है।

-नवजात बच्चों को हाईपोथर्मिया व शरीर का तापमान कम होने से बचाने के लिए नवजात को पैदा होने के तत्काल बाद नहलाया न जाए।

-नवजात के जन्म के बाद साफ-मुलायम कपड़े से पोंछकर उसे नर्म व साफ कपड़े में ढककर रखा जाए

-सर्दी के दिनों में नवजात के सिर में टोपी एवं पैरों में मोजे इत्यादि पहनाएं जाए

-जन्म के एक घंटे के भीतर मां का गाढ़ा पीला दूध जरूर पिलाए और छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराएं।

-दिन में दो-दो घंटे पर तथा रात में शिशु के जगने पर स्तनपान कराएं।

नवजात शिशु की असामयिक मृत्यु रोकने की दिशा में सरकार फिक्रमंद है। बढ़ते शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए न्यू बॉर्न बेबी केयर वीक मनाया जा रहा है। जिससे लोग बच्चे के केयर को लेकर अवेयर हो सके।

डॉ। वीबी सिंह, सीएमओ

Posted By: Inextlive