बच्ची को परिवार के लिए शुभ मान रहे परिजन
आगरा। सुनने में आपको अजीब लगेगा लेकिन ऐसा हुआ है। एक आठ साल की मासूम ने परिवार को काल के गाल में समाने से बचा लिया। उसका परिवार यही मान कर चल रहा है कि बच्ची की वजह से ही आज सब जीवित हैं। 26 अप्रैल पैदा हुई इस मासूम को देख परिवार भगवान को याद कर रहा है।

एक छत के नीचे रहता है परिवार
सेवला सराय, बैष्णों कॉलोनी, सदर निवासी सैन्य कर्मी अनिल कुमार पुत्र भगवान सिंह यहां पर अपनी मां रामवती देवी पत्‌नी शशिदेवी, 12 वर्षीय बेटी तान्या के अलावा 8 दिन की बेटी तनिष्का के साथ रहते हैं। बुधवार की शाम को भयंकर तूफान के बाद तेज बारिश हुई थी। अनिल कुमार ने एक साल पहले छत पर एक कमरा, शौचालय और बाथरूम बनवाया है।

अंदर सो रही थीं मां बेटी
नीचे तीन कमरे हैं आगे की तरफ बरामदा है। अनिल के घर में 26 अप्रैल को बेटी ने जन्म लिया है। उसने नवजात बेटी और पत्‌नी को अंदर के रूम में शिफ्ट कर दिया। बुधवार की शाम को मां बाहर की तरफ किचिन में खाना बना रही थी। बेटी तान्या और अनिल एक रूम में थे। उसी दौरान तेज तूफान के साथ मूसलाधार बारिश होने लगी।

तूफान आते ही रोने लगी मासूम
तूफान आने के बाद लाइट चली गई। इसके बाद नवजात मासूम ने रोना शुरु कर दिया। मां उसे चुप कराती रही लेकिन उसका रोना बंद नहीं हुआ। अनिल को उसका रोना देखा नहीं गया। उसने मां से पत्‌नी और बेटी को बाहर लाने को बोला तो मां ने मना कर दिया लेकिन बेटी की रोने की आवाज उसके कानों को सहन नहीं हो रही थी।

भरभरा कर गिर गई छत
वह अंदर गए और पत्‌नी और बेटी को बाहर बरामदे की तरफ ले आए। जैसे ही वह उन्हें बाहर लाए वैसे ही अंदर से तेज धमाके की आवाज आई। धमाके से पूरा मकान हिल गया। परिजनों ने चीख पुकार मचा दी। छत पर बने कमरे की छत तूफान के वेग को नहीं झेल सकी और गिर गई। उसके गिरने से नीचे के कमरे की छत भी गिर गई जिसमें कुछ देर पहले मां-बेटी लेटी हुई थीं।

बेटी का मान रहे फरिस्ता
अनिल का कहना था कि अगर बेटी नहीं रोती तो वह उन्हें कभी बाहर न लाते पत्‌नी और बच्ची को बाहर लाते ही छत गिर गई। परिजनों का मानना है कि उनकी आठ दिन की बेटी उनके लिए लकी रही है। अभी रविवार को उसका नामकरण होना है लेकिन घर में सब उसे तनिष्का कहते हैं। सैन्य कर्मी के मुताबिक आज उनकी नवजात बच्ची नहीं होती तो उनके ऊपर दुख का पहाड़ टूट पड़ता।

Posted By: Inextlive