- नवजात शिशु के साथ पल रहे कॉकरोच, खटमल

-मेडिकल कॉलेज में अव्यवस्था चरम पर

- गायनी वार्ड का निरीक्षण करने पहुंचे एसआईसी भड़के

मेरठ। मेडिकल कॉलेज प्रशासन इन दिनों बजट का रोना रोकर तमाम व्यवस्थाओं से पल्ला झाड़ ले रहा है लेकिन हकीकत दूसरी ही तस्वीर दिखा रही है। अव्यवस्थाएं, बदइंतजामी और लापरवाही सरदार वल्लभ भाई पटेल चिकित्सालय का पर्याय बन चुका है। आलम यह है कि मरीजों को राम भरोसे इलाज मिल तो रहा है लेकिन हर रोज भीषण मारामारी से भी गुजरना पड़ रहा है। मंगलवार को भी यहां गायनी वार्ड का बुरा हाल रहा। अव्यवस्थाएं चरम पर मिली। मौके पर निरीक्षण करने पहुंचे एसआईसी डॉ। अजीत चौधरी यहां की हालत देख बिफर पड़े।

बेड में खटमल, कॉकरोच

गायनी वार्ड में नवजात शिशुओं के साथ कॉकरोच और खटमल भी पल रहे हैं। स्थिति यह है कि मरीजों को दिए जाने वाले बेड के अंदर, गद्दों के नीचे व फर्श पर कॉकरोच हैं। हालत यह है कि नवजात के ऊपर भी कॉकरोच मंडरा रहे हैं। इनसे कई बीमारियां होने का खतरा बना हुआ है।

बेड पर चादरें नहीं

गायनी वार्ड में मरीजों को बेड पर चादर तक मुहैया नहीं करवाई जा रही है। आलम यह है कि मरीजों को बिना चादर या फटी हुई चादर से गुजारा करना पड़ रहा है। जबकि अधिकारियों का कहना है कि गायनी वार्ड के लिए करीब 200-250 चादरें दी जा रही है। और रोजाना यहां चादरें बिछाई जाती है।

- गंदगी का अंबार

वार्ड में गंदगी का हाल बेहद चौकाने वाला है। यहां जगह-जगह गंदगी बिखरी पड़ी है। रोजाना सफाई नहीं होती है मरीजों को गंदगी में ही एडमिट कर दिया जाता है।

सुविधाएं खस्ताहाल

यहां खस्ताहाल हो चुके बंद वार्ड को खोलकर प्रसूताओं को एडमिट कर दिया गया है। यहां मरीजों के लिए न पानी की व्यवस्था है न सफाई की। मरीजों को बदइंतजामी के बीच ही इलाज करवाना पड़ रहा है।

-दुर्गध से मरीजों का बुरा हाल

सफाई न होने से गायनी वार्ड के साथ यहां बनी गैलरी में दुर्गध के चलते पल भर भी खड़ा होना दुभर है। मरीजों को यहां सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है। बावजूद इसके इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

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निरीक्षण के दौरान तमाम अव्यवस्थाएं मिली हैं। इन्हें वापस पटरी पर लाने के लिए लगातार निरीक्षण किए जा रहे हैं। जो भी अनुशासन भंग करेगा उस पर कार्रवाई की जाएगी।

डॉ। अजीत चौधरी, एसआईसी, मेडिकल कॉलेज

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मरीजों के लिए यहां कोई व्यवस्था नहीं हैं। पीने के पानी के लिए मेन गेट तक जाना होता है। कॉकरोच और खटमल भरे हुए हैं.गंदगी में मरीज ठीक होने की बजाय बीमार हो रहे है।

रेखा, तीमारदार

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मेडिकल कॉलेज में गरीब मरीज निशुल्क इलाज के लिए आता है लेकिन यहां इलाज मिलता नहीं, बस इधर से उधर भटकते रहते हैं। सारा इलाज बाहर से लिखा जाता है।

इकरामुदीन, मरीज

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मरीजों के लिए यहां एक प्रतिशत भी व्यवस्था नहीं है। दवाओं के लिए बजट नहीं हैं लेकिन साफ-सफाई और दुर्गंध के चलते यहां बुरा हाल है।

एम। चंदर, मरीज

Posted By: Inextlive