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छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: ईस्ट सिंहभूम में 268 बच्चे फाइलेरिया से ग्रस्त पाए गए हैं। यह खुलासा हुआ है सर्वे की रिपोर्ट में। दरअसल, प्रदेश के सात जिलों में बीते कई सालों से फाइलेरिया के मरीज सामने नहीं आ रहे थे। इससे स्वास्थ्य विभाग ने इसे खत्म होने की संभावना जतायी थी। इसकी पुष्टि के लिए विभाग ने झारखंड के सात जिलों में ट्रांसमिशन एसेस्टमेंट सर्वे कराने का निर्णय लिया था। इसमें रांची, गुमला, बोकारो, पूर्वी सिंहभूम, चतरा, धनबाद सहित अन्य जिले शामिल थे। इन जिलों में पूर्व से माइक्रो फाइलेरिया रेट एक (प्रति दस हजार में एक) से कम पाया गया था।

2 प्रखंड फाइलेरिया मुक्त

पूर्वी सिंहभूम जिले में वर्ष 2013 से माइक्रो फाइलेरिया रेट एक आया था। इसके बाद से इक्का-दुक्का मरीज ही सामने आए। सर्वे के लिए पूर्वी सिंहभूम जिले की जनसंख्या 20 लाख से अधिक होने के कारण इसे दो यूनिट में बांटा गया था। जमशेदपुर नॉर्थ व साउथ। नार्थ के 47 स्कूलों में जाकर 1588 बच्चों की जांच की गई। इसमें 190 बच्चों में फाइलेरिया होने की पुष्टि हुई है। नॉर्थ में शहरी क्षेत्र भी शामिल है। वहीं साउथ के 101 स्कूलों में जाकर 1801 बच्चों की जांच की गई। इसमें 78 में फाइलेरिया की पुष्टि हुई। धालभूमगढ़ व गुड़ाबांधा प्रखंड में एक भी फाइलेरिया का मरीज नहीं मिला है। यानी इन दो प्रखंडों को फाइलेरिया मुक्त कहा जा सकता है।

साउथ जोन वाले क्षेत्र

क्षेत्र कुल जांच पुष्टि

बहरागोड़ा 270 4

चाकुलिया 243 3

धालभूमगढ़ 70 0

गुड़ाबांधा 105 0

घाटशिला 252 11

मुसाबनी 310 14

डुमरिया 161 8

पोटका 388 38

नॉर्थ जोन वाले क्षेत्र

क्षेत्र कुल जांच पुष्टि

पटमदा 78 10

बोड़ाम 140 10

जुगसलाई-1 354 61

जुगसलाई-2 231 20

जुगसलाई-3 880 89

फाइलेरिया रोग क्या है?

फाइलेरिया रोग में अक्सर हाथ या पैर बहुत ही ज्यादा सूज जाते हैं। इसलिए इस रोग को हाथी पांव भी कहते हैं लेकिन फाइलेरिया रोग से पीडि़त हर व्यक्ति के हाथ या पैर नहीं सूजते। यह कृमिवाली बीमारी है। ये कृमि लसिका तंत्र की नलियों में होते हैं और उन्हें बंद कर देते हैं। क्यूलैक्स मच्छर के काटने से बहुत छोटे आकार के कृमि शरीर में प्रवेश करते हैं। मलेरिया के कीड़ों की तरह ये कीड़े मनुष्यों और मच्छरों दोनों में छूत पैदा करते हैं पर इससे केवल लोगों को ही परेशानी भुगतनी पड़ती है।

कक्षा एक व दो के छात्रों पर यह सर्वे किया गया। जिन बच्चों में माइक्रो फाइलेरिया की पुष्टि हुई है, उन्हें चिह्नित कर दवा दी गई है। साथ ही विभाग बड़े पैमाने पर अभियान चलाने जा रहा है, ताकि मरीज सामने आ सकें और उनका इलाज हो सके। फाइलेरिया का इलाज पूरी तरह से संभव है।

- डॉ। साहिर पॉल, जिला फाइलेरिया पदाधिकारी।

Posted By: Inextlive