आपको गोरा बनाने का दावा करने वाले प्रॉडक्ट्स अब किसी के सांवलेपन या गहरे रंग का मजाक नहीं बना सकेंगे. न ही ऐसे लोगों को गोरे रंग वालों से कमतर दिखाया जा सकेगा. ऐडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया एएससीआई की नई गाइडलाइंस से लगभग 3000 करोड़ रुपये की फेयरनेस कैटिगरी में ऐडवर्टाइजिंग की तस्वीर बदल सकती है.


क्या कहती है नई गाइडलाइन?नए रूल्स में कहा गया है कि ऐडवर्टीजमेंट्स में यह नहीं दिखाना चाहिए कि काले रंग वाले लोग अपनी स्किन के रंग की वजह से नाखुश, निराश या किसी तरह से नुकसान में होते हैं. अक्सर इन ब्रैंड्स के ऐडवर्टीजमेंट्स में यह भी  दिखाया जाता है कि कैसे डार्क स्किन वाले लोगों की नौकरी और शादी की पर बुरा असर पड़ता है. स्किन के कलर को किसी खास सोशियो इकॉनॉमिक ग्रुप, कास्ट या कम्युनिटी से नहीं जोड़ना चाहिए. मेडिसन वर्ल्ड के सीएमडी और एएससीआई के पूर्व चेयरमैन सैम बलसारा ने बताया इन गाइडलाइंस का मकसद ऐडवर्टाइजर्स को यह स्पष्ट करना है कि समाज क्या स्वीकार करता है और क्या नहीं.ये  ब्रैंड्स करते हैं फेयरनेस प्रोडक्ट्स का बिजनेस
इस कैटेगरी में क्रीम, फेस वॉश और लोशन शामिल हैं. हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) इसमें फेयर ऐंड लवली ब्रैंड के साथ टॉप पर है. दूसरे बड़े ब्रैंड्स में इमामी का पुरुषों के लिए फेयर ऐंड हैंडसम और लॉरियल का गार्नियर शामिल है. फेयरनेस कैटिगरी में एचयूएल के फेयर ऐंड लवली ब्रैंड का दबदबा है, जिसे 1975 में लॉन्च किया गया था. अभी गार्नियर से लेकर पॉन्ड्स तक लगभग हर स्किन केयर ब्रैंड का फेयरनेस वेरिएंट है. इसके साथ ही पुरुषों के लिए एक पूरी सब-कैटिगरी भी मौजूद है. ऐसे ऐडवर्टीजमेंट्स का होता आया है विरोधहालांकि पिछले डेकेड में इन प्रॉडक्ट्स और इनकी मार्केटिंग के तरीके को लेकर काफी विरोध भी हुआ है. फिल्म डायरेक्टर शेखर कपूर ने ट्विटर सहित सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ काफी आवाज उठाई है. फिल्म एक्ट्रेस नंदिता दास भी इसका विरोध करती रही हैं. माना जाता है कि ये ऐडवर्टीजमेंट्स रेसिज्म को बढ़ाया देते हैं और काले लोगों को कमतर दिखाते हैं. आखिरकार एएससीआई को भी इस मुद्दे पर ध्यान देना पड़ा है.

Posted By: Shweta Mishra