अप्रैल 2016 से आयकर विभाग के नियमों में एक बड़ा बदलाव होने वाला है। यहां पर अब नए नियमों के तहत शेयर मार्केट प्रापर्टी व बड़े लेन देन आदि की कुछ खास जानकारी अब आयकर विभाग को देना अनिवार्य हो जाएगा।

ये होंगे नए नियम:
जानकारी के मुताबिक आयकर विभाग में 1 जनवरी से नए नियम लागू हो जाएंगे। जिसमें नइ नए नियमों के तहत अब कैश डिपॉजिट्स, शेयर्स-म्यूचुअल फंड खरीदना, इम्मूवेबल प्रॉपर्टी की परचेज आदि की जानकारी देना अब जरूरी हो जाएगा। इसमें फिक्स डिपॉजिट्स और फॉरेन करेंसी के लेनदेन जैसे बड़ी ट्रांजैक्शंस की जानकारी भी शामिल है। इसके अलावा अप्रैल से आयकर विभाग के दूसरे नियमों में भी कई बड़े बदलाव हो जाएंगे।
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जैसे कोई व्यक्ति किसी कंपनी के शेयर, म्युचुअल फंड, बॉन्ड या डिबेंचर में साल में 10 लाख रुपए या इससे ज्यादा का निवेश करता है तो कंपनी यह जानकारी आयकर विभाग को देगी।
* तय लिमिट से ज्यादा पैसा बैंक, कंपनी या वकील-सीए जैसे प्रोफेशनल को देने पर इसकी जानकारी आयकर विभाग को देनी होगी। इसके लिए फॉर्म 16ए भरना होगा।
किसी सर्विस के बदले किसी प्रोफेशनल को 2 लाख रुपये से ज्यादा के भुगतान की जानकारी आयकर विभाग को देनी होगी।

30 लाख रुपए से ज्यादा की इम्मूवेबल प्रॉपर्टी की सेल-परचेज की जानकारी रजिस्ट्रार ऑफिस को देना अनिवार्य हो जाएगा।
* क्रेडिट कार्ड से बिल पेमेंट के एवज में बैंक को साल में एक लाख या ज्यादा कैश पेमेंट या दूसरे मीडियम से 10 लाख या ज्यादा पेमेंट हुआ तो आईटी डिपार्टमेंट के पास इंफॉर्मेशन पहुंचेगी।
* अगर आपके बैंक खाते में एक साल में 10 लाख रुपए से ज्यादा कैश जमा होता है तो बैंक इसकी जानकारी आईटी विभाग को देगा। एफडी के लिए भी लिमिट 10 लाख रुपए तय की गई है, हालांकि एफडी के रिन्युअल पर यह नियम लागू नहीं होगा।

* एक साल में यदि किसी व्यक्ति के करंट अकाउंट में 50 लाख रुपए या इससे ज्यादा की जमा या विड्रॉअल होता है तो इसकी जानकारी बैंक आईटी विभाग को देगा।

* साल में 10 लाख रुपए या इससे ज्यादा कैश से बैंक ड्राफ्ट बनवाने पर बैंक इसकी जानकारी सरकार को देगा।

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Posted By: Shweta Mishra