ALLAHABAD: मैं बैंक से बोल रहा हूं. आपका बैंक एकाउंट किस बैंक में है. क्या आप एटीएम यूज करते हैं. आपका एटीएम नंबर क्या है. एक्चुअली बैंक अपने पुराने कस्टमर की डिटेल रीचेक कर रही है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सभी कस्टमर के वेरिफिकेशन का आर्डर किया है. इसी कारण हम क्रॉस चेक कर रहे हैं. तो आपका एटीएम पिन वही है या चेंज किया है. अच्छा नया नंबर क्या है. अगर इस तरह का कॉल आपके पास आता है तो एलर्ट हो जाइए. और हरगिज अपना एटीएम पिन डिस्क्लोज न करें. क्योंकि साइबर क्रिमिनल्स ने फ्राड करने का यह नया तरीका इजाद कर लिया है. भारतीय रिजर्व बैंक ने ऐसा कोई सिस्टम लागू नहीं किया है और ना ही कोई बैंक अपने कस्टमर से इस तरह की डिटेल पूछता है. वेरिफिकेशन के नाम पर फ्राड के इस खेल में कई लोग फंस चुके हैं.

कर दिया पूरा एकाउंट खाली
नीरज श्रीवास्तव राजरूपपपुर के रहने वाले हैं। वह रेलवे में जॉब करते हंै। कुछ दिन पहले उनके मोबाइल फोन पर एक कॉल आया। कॉल करने वाले ने बताया कि वह बैंक से बोल रहा है। वेरिफिकेशन किया जा रहा है। प्लीज अपना डिटेल बता दें। नीरज को लगा कि बैंक से कॉल आया है तो वह सच ही बोल रहा होगा। कॉल करने वाले ने पहले बैंक एकाउंट नंबर पूछा और फिर नाम की डिटेल नोट की। फिर पूछा कि क्या आप एटीएम यूज कर रहे  हैं। नीरज ने कहा हां, तो उसने एटीएम का नंबर पूछ लिया। यही नहीं बैंक वाला समझ कर नीरज ने उसे अपने एटीएम का पिन नंबर भी बता डाला। फिर क्या था। नेक्स्ट डे पता चला कि उनका बैंक एकाउंट खाली हो गया। सिविल लाइंस स्थित अपने बैंक के ब्रांच के पहुंचे नीरज ने कंप्लेन की। जांच में पता चला कि उनके बैंक एकाउंट में रखे 20 हजार रुपए का किसी ने इंटरनेट के थ्रू शॉपिंग कर ली है। नीरज हैरान रह गए। फिर उन्होंने बैंक को बताया कि एक कॉल आई थी जिसमें उन्होंने पूरी डिटेल बता डाली। जब नीरज को पता चला कि वह इस तरह फ्राड के शिकार हुए हैं तो उनके पास सिवाय पश्चाताप करने के और कोई ऑप्शन नहीं बचा था।

आप भी रहे एलर्ट
ऐसा सिर्फ नीरज के साथ ही नहीं हुआ है। कई और भी लोग साइबर क्रिमिनल्स के झांसे में आकर अपना डिटेल बता देते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि किसी को इस बात की जरा भी भनक नहीं लगती कि सामने वाला झूठ बोल रहा है। क्योंकि ऐसे क्रिमिनल्स नाम और एडे्रस की पूरी डिटेल पता करने के बाद कॉल करते हैं। ताकि किसी बंदे को जरा भी शक न हो सके कि कॉल करने वाला बैंक कर्मचारी नहीं है। फोन नंबर, नाम और एड्रेस बताने पर उसे मान लेते हैं। जबकि इतना डिटेल किसी ना किसी डायरेक्ट्री की मदद से साइबर क्रिमिनल्स हासिल करके ऐसा फ्राड कर रहे हैं। इस तरह के फ्राड से बचने के लिए सिर्फ एलर्ट रहना ही एक मात्र ऑप्शन है।

पहले मेल से मांगते थे डिटेल
साइबर क्रिमिनल्स इस तरह का फ्राड पहली बार नहीं कर रहे हैं। वह हमेशा से ही बैंक वाले बनकर पब्लिक को चूना लगाते रहे हैं। इससे पहले वे भारतीय रिजर्व बैंक से ईमेल भेजते थे और बैंक की पूरी डिटेल मांग लेते थे। अगर कोई चूक हो जाती थी तो आसानी से साइबर क्रिमिनल्स बैंक एकाउंट से पैसा उड़ा लेते थे। अब तो ज्यादातर उस रुपए का शॉपिंग कर देते हैं ताकि किसी को रिकवरी के लिए कुछ मिले ही ना।

Posted By: Inextlive