देश की राजधानी दिल्ली के स्‍कूलों की हालत सुनकर शायद आप भी शॉक्‍ड हो जाएंगे। आप एकबारगी सोचने को मजबूर होंगे कि जब राजधानी के स्‍कूलों का ये हाल है तो देश के दूसरे स्‍कूलों की हालत क्‍या होगी। जी हां इन दिनों दिल्‍ली के करीब 720 स्कूलों की हालत काफी खराब है। हालांकि इसकी जानकारी होने पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एनएचआरसी ने दिल्‍ली सरकार को इस संबंध में नोटिस जारी किया है।


मामले पर गंभीरता दिखाईजानकारी कि मुताबिक लगातार मीडिया दिल्ली के स्कूलों की दयनीय हालत पर खबरें पब्िलश कर रहा था, लेकिन शायद दिल्ली सरकार इस ओर कतई ध्यान नहीं  दे रही थी। ऐसे में अब मीडिया रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने इस मामले पर गंभीरता दिखाई है। जिससे राजधानी दिल्ली के करीब 720 चिन्िहत किए गए हैं। जिनकी हालत काफी दयनीय हैं। ऐसे में अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने दिल्ली सरकार से इस दिशा में गंभीर होकर जवाब देने को कहा है।राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दिल्ली सरकार के चीफ सेक्रेटरी को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा हैं। इनता ही नहीं जवाब देने के लिए चार हफ्ते का समय निर्धारित किया है।सुविधाएं तो कहीं खो गई
गौरतलब है कि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी के स्कूलों की हालत ऐसी है कि यहां पर बच्चे को शिक्षा नहीं मिलना मुश्किल है। जिन स्कूलों का विवरण रिपोर्ट में दिया गया है वहां पर मूलभूत सुविधाएं तो जैसे कहीं खो सी गई हैं। स्कूलों में टीचर और प्रिंसिपल तक का बिहेवियर बच्चों के साथ ठीक नहीं हैं। वे स्टूडेंट के साथ गाली-गलौज की भाषा का इस्तेमाल करते हैं। सरकारी स्कूलों में पीने के पानी का नहीं मिल रहा है। टॉयलट की सुविधाएं तक नहीं है। स्कूलों में कम्यूटर की शिक्षा दिए जाने के दावे भी खोखले हैं। कई सारे स्कूलों में कंप्यूटर नहीं है और कुछ स्कूलों में है भी वहां के हालात सीखने वाले नहीं हैं। एक कंप्यूटर सारे स्टूडेंट के लिए है जिससे कई बार यहां पर लड़ाई होने लगती है। पैरेंट्स के विरोध पर स्कूल मैनेजमेंट उल्टे उन्हें ही फटकार लगाने लगता है।

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Posted By: Shweta Mishra