JAMSHEDPUR: बिष्टुपुर के बेल्डीह कालीबाड़ी मंदिर के पीछे रविवार को डस्टबिन में हुई विस्फोट इम्प्रोवाइड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आइइडी) थी। कचरे के ढेर और आसपास मिले स्टील और लोहे के टुकड़े से इस बात को और भी बल मिलता है। मंगलवार को घटनास्थल पर जांच करने पहुंची टीम को स्टील और लोहे के टुकड़े, साड़ी और अन्य सामान मिले हैं। विस्फोटक को कंटेनर में रखा गया था। ऐसी संभावनाओं से घटनास्थल पर जांच के लिए पहुंची फोरेंसिक विभाग, रांची और एसटीएफ के बम निरोधक दस्ता ने इनकार नहीं किया है। घटना स्थल का निरीक्षण करते हुए टीम ने कूड़े की ढेर से नमूने एकत्र किए थे। जहां विस्फोट हुआ था वहां सुबह से देर शाम तक जांच टीम डटी रही। मेटल डिटेक्टर का इस्तेमाल कर कुछ प्रदर्श एकत्र किए गए थे। कूड़े के ढेर से एक पेंसिल बैट्री भी मिली है। फॉरेंसिक और एनआईए की टीम ने एकत्रित नमूनों की जांच भी की है। हालांकि टीम ने जांच रिपोर्ट के बारे में कुछ भी बताने से इंकार किया है।

एनआइए की टीम ने छाना कोना-कोना

बेल्डीह काली मंदिर के पास रविवार को हुए बम विस्फोट की जांच के लिए नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (एनआइए) की टीम जमशेदपुर पहुंची है। सोमवार की रात में जमशेदपुर पहुंचने के बाद टीम ने घटनास्थल का जायजा लिया था। मंगलवार की सुबह म् बजे में एनआइए की टीम पहुंची और डस्टबिन में पड़े मलवे की जांच की। एनआइए के अधिकारी शाम चार बजे फिर से बेल्डीह काली बाड़ी मंदिर पहुंचे थे। अधिकारियों के साथ बम डिस्पोजल दस्ता भी था। टीम पूरी तैयारी के साथ आई थी। लगभग ब्भ् मिनट तक पूरे इलाके का खाक छानी। एनआइए के अधिकारी सभी पहलुओं पर जांच कर रहे थे।

खोजते रहे डिजिटल मीटर

एनआइए की टीम को डिजिटल मीटर की तलाश थी। डिजिटल मीटर खोजने में तमाम अधिकारी जुटे रहे। हालांकि डस्टबिन के मलबे से स्टील और लोहे के छोटे-छोटे टुकड़े तो मिले हैं, लेकिन डिजिटल मीटर जैसा कुछ नहीं मिला है। बेल्डीह काली बाड़ी मंदिर की छत, गोल्फ ग्राउंड, मंदिर के बगल के कंपाउंड और अन्य इलाकों में सघन तलाशी ली। मेटल डिटेक्टर टीम ने डस्टबिन में पड़े सभी कचरे की जांच की। बेल्डीह काली मंदिर की छत और छज्जा से स्टील और लोहे के छोटे-छोटे दर्जन भर टुकड़े मिले हैं। टीम को स्टील के बर्तन के अवशेष भी मिले हैं। डस्टबिन में साड़ी और पूजा-पाठ के सामान के अवशेष मौजूद था। पूजा-पाठ जैसे सामानों को छोड़कर बाकी सभी चीजों को एनआइए की टीम ने जांच के लिए रख लिया है। सुबह में मिले अवशेषों की जांच भी की गई है। लेकिन जांच रिपोर्ट और कार्रवाई पर एनआइए की टीम कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया है।

विस्फोटक की क्षमता आंक रही है टीम

टीम विस्फोटक की क्षमता के आकलन जुटाने में लगी रही कि आखिर विस्फोट में कौन सा रसायनिक पदार्थ का उपयोग किया गया। जिससे लोहे की डस्टबीन तितर-बितर होकर काफी दूर तक चली गई। विस्फोटक शक्तिशाली था और उसकी तीव्रता भी काफी थी। इसको लेकर जांच टीम के पदाधिकारी विचार-विमर्श करते देखे कि प्रदेश में पहली बार कूड़े की ढेर पर विस्फोट होने की घटना हुई है। घटना के बाद से ही घटनास्थल की पुलिस ने घेराबंदी कर रखी है। जांच टीम में फोरेंसिक विभाग, रांची के सहायक निदेशक वसीर अहमद, साइंटीफिक सहायक निदेशक सुब्रतो सरकार और झारखंड जगुआर बम निरोधक दस्ता के गणेश पान के सात सदस्यीय टीम शामिल है। एकत्र प्रदर्श को न्यायालय के आदेश के बाद बिष्टुपुर थाने की पुलिस फॉरेंसिक विभाग, रांची भेजेगी।

पहली बार कूड़े के ढेर में हुआ है विस्फोट

फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के डिप्टी डायरेक्टर वसीर अहमद ने कहा कि हमने प्रदर्श को जब्त कर पुलिस को सौंप दिया है। फोरेंसिक विभाग, रांची को पुलिस प्रदर्श जांच को भेजेगी। प्रदेश में पहली बार कूड़े की ढेर (डस्टबीन) में विस्फोट की घटना हुई। प्रदर्श जुटाने में कितनी परेशानी हुई इसका अंदाजा लगाया जा सकता। विस्फोटक या फिर कुछ और जब तक जांच रिपोर्ट नही आ जाती कुछ बोलना उचित नही होगा।

आइआइडी विस्फोटक होने के आसार

एसडीएफ के बम डिस्पोजल दस्ता के गणेश पान ने कहा कि इस बार के आसार हैं कि विस्फोटक आइइडी की तरह है और इसमें इस्तेमाल कंटेनर में रखकर किया गया होगा। प्रयोगशाला में जांच के बाद सबकुछ सामने आ जाएगा।

क्या होता है साधारण विस्फोटक में

आम तौर पर पुलिस महकमे में माना जाता है कि जो साधारण बम विस्फोट अगर होता है तो इसे तैयार करने में कांटी, साइकिल की छोटी-छोटी गोली, नट-बोल्ट और बारूद का इस्तेमाल होता है। जिसके विस्फोट होने के बाद इसमें गंध आता है अवशेष के रूप में कांटी, गोली बिखरे नजर आते है। लेकिन कालीबाडी मुख्य मार्ग पर हुए विस्फोट में ऐसा कुछ नहीं मिला।

Posted By: Inextlive