2 अप्रैल का दिन भारतीय क्रिकेट इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों से लिखा गया है। आज से 9 साल पहले इसी दिन भारत ने वर्ल्डकप जीता था। वो वर्ल्डकप जिसके लिए सचिन ने 21 साल इंतजार किया आखिर वो वर्ल्डकप ट्रॉफी तेंदुलकर के हाथों में आ गई। ये जीत कैसे मिले यह तो सबको पता है मगर उसके बाद क्या-क्या हुआ था आइए जानते हैं।

कानपुर। 2 अप्रैल 2011 को मुंबई के वानखेड़े में एक अलग ही माहौल था। स्टेडियम खचाखच भरा था, सिर्फ आम आदमी ही नहीं देश की जानी-मानी हस्तियां वहां मौजूद थी। सबको उम्मीद थी कि भारत विश्वकप जीतेगा। क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के लिए यह आखिरी मौका था। इससे पहले उन्होंने कभी वर्ल्डकप ट्रॉफी हाथ में नहीं उठाई थी, सचिन ये मौका नहीं गंवाना चाहते थे। खिताबी मुकाबला भारत बनाम श्रीलंका के बीच हुआ। श्रीलंका ने भारत को जीत के लिए 275 रन का लक्ष्य दिया, जिसे टीम इंडिया ने 10 गेंद शेष रहते 6 विकेट से जीत लिया। धोनी ने जैसे ही विजयी छक्का लगाया पूरा देश खुशी में झूम उठा। इसी के साथ जश्न का ऐसा उबार उठा कि, ड्रेसिंग रूम से लेकर सड़कों तक सिर्फ इंडिया-इंडिया के नारे लग रहे थे।

21 साल बाद सचिन का सपना हुआ पूरा

उस दिन टीम इंडिया का ड्रेसिंग रूम पूरे दिन खुशनुमा रहा था। जैसे ही माही ने विनिंग सिक्स लगाया। सब खुशी से उछल पड़े। सचिन साथी खिलाडिय़ों को गले लगाकर पत्नी अंजलि के पास पहुंचे और उनसे लिपट गए। उन्हें पता था कि अंजलि ने इस पल का इंतजार कितने सालों से किया है। पत्नी को धन्यवाद देने के बाद वह मैदान में उतरे और मैन ऑफ द टूर्नामेंट रहे युवराज सिंह को गले लगाया। युवी ने यह जीत सचिन के लिए हासिल की थी। सचिन ने 21 सालों तक करोड़ों भारतीय फैंस के सपनों को अपने कंधो पर उठाया, आज सचिन को कंधे पर उठाने की बारी थी। ये काम किया कोहली, हरभजन और रैना ने, इन सभी ने सचिन को कंधे पर बिठाकर मैदान का चक्कर लगाया, यह वो लम्हा था जब सचिन सहित पूरी क्रिकेट टीम के आंखो में खुशी के आंसू थे।

फैन सुधीर गौतम को बुलाया ड्रेसिंग रूम में

मैदान में जीत का जश्न मनाकर सचिन जब ड्रेसिंग रूम में लौटे, तो उन्हें अपने सुपर फैन सुधीर गौतम की याद आई। एक दुबला-पतला सा इंसान खुले बदन शरीर में सालों से तिरंगें में रंगा सिर्फ सचिन को देखने आता था। सचिन ने ड्रेसिंग रूम से निकलकर सुधीर को आवाज लगाई। चूंकि वहां इतना शोर था कि कोई तेंदुलकर को सुन नहीं पाया, मगर सुधीर तो सचिन को अपना भगवान मानते थे, उन्हें अंदाजा लग गया कि आज भगवान से मिलने का वक्त है। गौतम तुरंत बैरेकेडिंग पार कर सचिन के पास पहुंचे। सचिन ने पहले सुधीर से हाथ मिलाया और फिर जहीर खान से जोकि उस वक्त वर्ल्डकप लिए हुए थे, उनसे ट्रॉफी सुधीर को देने का कहा। चूंकि उस वक्त जोश और उल्लाह इतना हाई था कि जहीर ट्रॉफी छोड़ ही नहीं रहे थे मगर सुधीर भी कहां मानने वाले थे, अपने भगवान के आदेश पर उन्होंने जहीर से ट्रॉफी लेकर जोर-जोर से इंडिया-इंडिया चिल्लाने लगे, वहां मौजूद सभी भारतीय क्रिकेटर्स ताली बजाने लगे। इस एक जीत ने खिलाड़ी और फैन को एक बराबर खड़ा कर दिया था।

ड्यूटी छोड़ जश्न मनाने लगे पुलिसकर्मी

जीत के बाद टीम इंडिया जब बस में बैठने लगी तो वहां सुरक्षा में लगे सैकड़ों पुलिसकर्मियों ने अपनी ड्यूटी छोड़ पूरी टीम को चियर करना शुरु कर दिया। एक मिनट के लिए मानों सभी पुलिस वाले भारतीय टीम के फैन बन गए। लोग बस की खिड़की पर अपने चहेते सचिन को बधाई दे रहे थे, जो अपने दोनों बच्चों को गोदी पर बिठाए थे। वहीं कुछ सिक्योरिटी गार्ड सहवाग के बच्चों के साथ खेलने लगे। टीम इंडिया जब होटल पहुंची तो वहां फैंस की जबरदस्त भीड़ थी। टीम इंडिया ताज होटल में ठहरी थी और उनका प्लॉन पूरी रात जश्न मनाने का था।

आईसीसी के मैनेजर को जाना पड़ा पैदल

इधर फैन सड़कों पर जीत को सेलीब्रेट कर रहे थे। मुंबई का फेमस मरीन ड्राइव पूरा भर चुका था। सड़क पर गाड़ी खड़ी करके लोग हार्न बजाने लगे, तो कुछ बैंड-बाजों के साथ वहां मौजूद थे। कुछ लोग तिरंगा फहराने लगे। पूरी रोड जाम हो चुकी थी। मैच खत्म होने के दो घंटे तक सड़क पर पैर रखने की जगह नहीं थी। यहां तक की उस वक्त आईसीसी के जनरल मैनेजर डेव रिचर्डसन को पैदल अपने होटल जाना पड़ा, क्योंकि गाड़ी जाम में फंस गई थी।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari