निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में माैत की सजा पाए दोषियों में अब पवन गुप्ता ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी जिसमें कोर्ट ने अपराध के समय उसके नाबालिग होने के दावे को खारिज कर दिया था।


नई दिल्ली (एएनआई)। निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में मौत की सजा पाने वालों में से एक दोषी पवन गुप्ता ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। पवन ने सुप्रीम कोर्ट में एक स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) दायर की है। याचिका में उसने दावा किया है कि जिस समय उसने अपराध किया था उस समय वह किशोर था। न्यूज एजेंसी पीटीआई के एक ट्वीट के मुताबिक दोषी पवन ने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हाई कोर्ट के 19 दिसंबर के आदेश को चुनौती दी है जिसमें कोर्ट ने फर्जी दस्तावेज जमा करने और अदालत में हाजिर नहीं होने के लिए उनके वकील की को फटकार भी लगाई थी। कोर्ट द्वारा बार-बार संदेश भेजने के बावजूद दोषी के वकील एपी सिंह अदालत में पेश नहीं हुए थे। इसके अलावा कोर्ट ने दिल्ली बार कौंसिल से उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा है।


अपराधियों के खिलाफ एक नया डेथ वारंट जारी

दोषी के वकील एपी सिंह ने एएनआई को बताया पवन गुप्ता अपराध के समय किशोर था और दिल्ली हाई कोर्ट ने कार्यवाही के दौरान इस तथ्य की अनदेखी की थी। याचिका में कहा कि स्कूल के रिकॉर्ड के अनुसार पवन की जन्म तिथि 8 अक्टूबर, 1996 है, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने इस तथ्य को नजरअंदाज कर दिया था।वहीं इससे पहले कल शुक्रवार को दिल्ली की एक कोर्ट ने निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में मौत की सजा पाने वाले चारों अपराधियों के खिलाफ एक नया डेथ वारंट जारी किया। नए डेथ वारंट के मुताबिक अब 1 फरवरी को सुबह करीब 6 बजे फांसी दी जानी है। पहले 22 जनवरी को सुबह 7 बजे होनी थी फांसीबता दें कि इसके पहले दिल्ली की कोर्ट ने 7 जनवरी को दोषी विनय शर्मा (26), मुकेश कुमार (32), अक्षय कुमार सिंह (31) और पवन गुप्ता (25) को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी का डेथ वारंट जारीकिया था। हालांकि क्यूरेटिव और मर्सी पिटीशन की वजह से यह टल गई। बता दें कि 16 दिसंबर, 2012 की रात को दिल्ली में एक चलती बस में 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा संग 6 लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म कर चलती बस से बाहर फेंक दिया था। छह दोषियों में एक दोषी आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित तौर पर सुसाइड किया था और एक अन्य आरोपी किशोर को किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराया था। वह तीन साल तक सुधार गृह में रहने के बाद रिहा हो गया था।

Posted By: Shweta Mishra