Nirbhaya Case निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले के चार दोषियों में से एक दोषी ने फांसी की सजा पर रोक लगाने की मांग को लेकर दिल्ली कोर्ट में याचिका दायर की। इस याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। निर्भया कांड के चार दोषियों को 20 मार्च की सुबह 5.30 बजे फांसी दी जानी है।

नई दिल्ली (पीटीआई)। Nirbhaya Case दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को निर्भया मामले में दोषी मुकेश सिंह की फांसी की सजा रोकनी संबंधी याचिका खारिज कर दी है। मुकेश को निर्भया के सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में 3 अन्य दोषियों के साथ फांसी की सजा सुनाई गई है। चारों को 20 मार्च को फांसी दी जानी है। एडिशनल सेशन जज धर्मेंद्र राणा ने मुकेश की यह याचिका खारिज कर दी कि वारदात के दिन वह दिल्ली में नहीं था। याचिका में दावा किया गया था कि मुकेश को राजस्थान से गिरफ्तार किया गया था और 17 दिसंबर, 2012 को दिल्ली लाया गया था। वह 16 दिसंबर को दिल्ली में मौजूद नहीं था जब इस अपराध काे अंजाम दिया गया था। सरकारी वकील ने कोर्ट में कहा कि मुकेश की यह याचिका गंभीरता से विचार योग्य नहीं है और यह फांसी की तारीख को टालने के लिए 'डीले टैक्टिक' है।

मुकेश सिंह को तिहाड़ जेल के अंदर यातनाएं दी जा रही

इतना ही नहीं याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि मुकेश सिंह को तिहाड़ जेल के अंदर यातनाएं दी जा रही है। इस संबंध में सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि मुकेश सिंह की याचिका बेहद निंदनीय है। उसने यह याचिका निर्धारित फांसी में देरी करने के लिए दायर की है। दोषी यह चौथा डेथ वारंट भी टालना चाहता है। निर्भया में 5 मार्च को दिल्ली की एक अदालत ने इस मामले नया डेथ वारंट जारी किया है। इस डेथ वारंट के मुताबिक 20 मार्च को सुबह 5.30 बजे दोषी मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को फांसी की सजा दी जानी है।

निर्भया कांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था

बता दें कि 16 दिसंबर, 2012 की रात को दिल्ली में एक चलती बस में 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा के साथ 6 लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म करने के साथ ही उसे चलती बस से बाहर फेंक दिया था। उपचार के दौरान पीडि़ता की मौत हो गई थी। निर्भया कांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इस मामले के 6 दोषियों में दोषी आरोपी राम सिंह था, जो तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर चुका है। एक अन्य आरोपी किशोर को किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराया था। वह तीन साल तक सुधार गृह में रहने के बाद रिहा हो गया था।

Posted By: Shweta Mishra