Nirbhaya Case निर्भया के सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में आज दिल्ली हाईकोर्ट दोषियों की फांसी पर रोक को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुनाएगी। केंद्र सरकार ने दिल्ली की एक कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी जिसमें दोषियों की फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है।

नई दिल्ली(एएनआई/पीटीआई)। Nirbhaya Case दिल्ली हाईकोर्ट पटियाला हाउस कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र सरकार और तिहाड़ जेल अधिकारियों की याचिका पर बुधवार को अपना आदेश सुनाएगी। यह वही याचिका हैं जाे पटियाला कोर्ट द्वारा 31 जनवरी को निर्भया के सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में दोषियों की फांसी पर अगले आदेश तक रोक के बाद दायर की गई थीं । जस्टिस सुरेश कुमार कैत की सिंगल बेंच ने इस मामले की सुनवाई रविवार को की थी। बेंच ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया था।

Nirbhaya case: Delhi HC to pronounce on Wednesday order on Centre's plea challenging stay on execution of four convicts

— Press Trust of India (@PTI_News) February 4, 2020


दोषियों के वकील ने कहा जल्दबाजी में इंसाफ किया
रविवार को सुनवाई के दौरान दोषियों पवन गुप्ता, अक्षय ठाकुर, और विनय शर्मा के वकील एपी सिंह ने पूछा इस मामले में केवल मौत की सजा पर अमल करने की जल्दबाजी क्यों की गई। जस्टिस ने जल्दबाजी में इंसाफ किया। दोषी ग्रामीण क्षेत्रों और दलित परिवारों से हैं। वे दिल्ली आते हैं और यहां फंस जाते हैं। मुकेश और राम सिंह दलित हैं। दोनों भाई हैं जो राजस्थान के एक ग्रामीण हिस्से से आए हैं। यह दोषियों की गलती नहीं है। वे कानून में अस्पष्टता का खामियाजा नहीं भुगत सकते हैं।
दोषियों को जानबूझकर फांसी देने में देरी की जा रही
वहीं दोषी मुकेश की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन ने कहा था कि केंद्र ने पटियाला हाउस कोर्ट के आदेश को रद करने की मांग की है जब दिल्ली हाईकोर्ट के पहले के आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट का कोई भी आदेश केवल सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जानी चाहिए। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आरोप लगाया था कि दोषियों को जानबूझकर फांसी देने में देरी की गई है।मौत की सजा में किसी भी देरी का दोषियों पर अमानवीय प्रभाव पड़ेगा।
1 फरवरी को होने वाली थी चाराें दोषियों को फांसी
दिल्ली की एक अदालत ने पिछले हफ्ते दोषियों - अक्षय ठाकुर, मुकेश सिंह, पवन गुप्ता और विनय शर्मा की फांसी के आदेशों पर रोक लगा दी, जो पहले 1 फरवरी को होने वाली थी। बता दें कि16 दिसंबर, 2012 की रात को दिल्ली में एक चलती बस में 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा के साथ 6 लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था और उसेबस से बाहर फेंक दिया था। इस मामले के पांच वयस्क आरोपियों में एक राम सिंह ने मामले की सुनवाई के दौरान तिहाड़ जेल में कथित रूप से सुसाइड कर लिया था।

Posted By: Shweta Mishra