Nirbhaya Case: पीड़िता का अल्ट्रासाउंड करने वाली डाॅक्टर बोलीं मेरी जिंदगी का सबसे भयावह था वो पल, आज भी दहल जाता है दिल
पटना (ब्यूरो)। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में निर्भया का अल्ट्रासाउंड करने वाली डॉक्टर श्वेता रावत कहती हैं कि आधी रात और एंबुलेंस की आवाज आज भी मेरी जेहन में गूंज रही है। वो मेरी जिंदगी और कॅरियर का सबसे भयावह पल था। जब भी उस पल को याद करती हूं मेरा दिल दहल जाता है। सफदरजंग अस्पताल में उस वक्त मैं इमरजेंसी में नाइट ड्यूटी में थी। अचानक सायरन बजाती एंबुलेंस इमरजेंसी के बाहर रूकी। उसमें से मरीज के रूप में पुराने कपडे़ में लिपटी एक 20-21 साल की युवती थी। डॉक्टर के कहने पर मैं तुरंत अल्ट्रासाउंड करने में लग गई ताकि इलाज में देरी न हो। पुराने कपड़े में लिपटे हुए शरीर से केवल एक ही आवाज आ रही थी मैडम प्लीज बचा लीजिए, मैं जीना चाहती हूं। मगर किस्मत ने कुछ और लिख रखा था। किसी तरह हिम्मत कर अल्ट्रासाउंड किया।शॉक्ड हो गए सभी स्टाफ
जब जांच रिपोर्ट आई तो मेरे साथ-साथ अस्पताल के सभी स्टाफ भी शॉक्ड हो गए। दरिंदगी का ऐसा केस पहली बार आया जिसमें इतनी हैवानियत की गई थी। इलाज करने वाले डॉक्टर और स्टाफ पूरी कोशिश में लगे हुए थे कि जान बच जाए। लोहे के रॉड से हैवानियत के जख्म इतने गहरे थे कि अल्ट्रासाउंड के समय भी ब्लड रुक नहीं रहा था।तीन दिनों तक सो नहीं पाईनिर्भया की मौत के बाद तीन दिनों तक मैं सो नहीं पाई। सफदरजंग अस्पताल में उसके साथ गुजरा हुए एक-एक पल मेरे जेहन में आज भी घूम रहा है। इमरजेंसी में भर्ती होने के बाद भी वह अपने पैरेंट्स के हौसला बुलंद करती रही। अस्पताल से निकलने के कुछ घंटे पहले तक उसने यही कहा कि मैं जीना चाहती हूं। मुझे बचा लीजिए।फांसी के बाद मिलेगा इंसाफनिर्भया के चारों हत्यारे को भले ही डेथ वारंट जारी हो गया हो मगर फांसी के फंदे पर हत्यारे को चढ़ाने के बाद इंसाफ होगा। क्योंकि, कानूनी गुत्थी में उलझकर 7 साल गुजर गए। इस तरह के अपराध के लिए तो तुरंत ही सजा मिलनी चाहिए।patna@inext.co.in