निर्भया दुष्कर्म के चारों आरोपियों को शुक्रवार सुबह 5:30 बजे तिहाड़ जेल में फांसी दी गई। फांसी देते वक्त पवन जल्लाद को काफी खुशी हुई। इस बात का जिक्र उन्होंने बाहर आकर जताया।

नई दिल्ली (आईएएनएस)। निर्भया दुष्कर्म और हत्या मामले के चार दोषियों को दिल्ली के तिहाड़ जेल में शुक्रवार तड़के फांसी दी गई। फांसी के बाद, जल्लाद पवन को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच उत्तर प्रदेश के मेरठ के लिए रवाना कर दिया गया। हालांकि बाहर आकर पवन ने कहा, 'मेरे जीवन में यह पहली बार हुआ है जब मैं चार दोषियों को फांसी देने के लिए खुश हूं। मुझे इसका लंबे समय से इंतजार था। मैं ईश्वर और तिहाड़ जेल प्रशासन को धन्यवाद देता हूं। बता दें निर्भया सामूहिक दुष्कर्म-हत्या के दोषियों को फांसी देने के लिए तिहाड़ जेल प्रशासन ने पवन को चुना था।

मेरठ जेल के जल्लाद हैं पवन

मेरठ उत्तर प्रदेश में एकमात्र "प्रमाणित" जल्लाद पवन ही हैं, जो मेरठ जेल से जुड़े हैं। उन्हें 3,000 रुपये का मासिक वेतन मिलता है। उन्होंने कभी भी कुछ और होने की कल्पना नहीं की। वह बचपन से ही जल्लाद बनना चाहते थे क्योंकि उनके दादा और पिता यही काम करते थे। पवन ने पहली बार एक किशोर के रूप में फांसी पर किसी को लटका हुआ देखा था। उनके दादा लक्ष्मण और पिता कल्लू को 1989 में इंदिरा गांधी के हत्यारों को मारने का काम सौंपा गया था और उनके निधन के बाद पवन ने इसका पदभार संभाला था। उनके पिता कल्लू ने खूंखार अपराधियों रंगा और बिल्ला को भी फांसी पर लटकाया था।

बेटे को नहीं रखना चाहते इस पेशे में

पवन को तीन साल निठारी हत्या के आरोपी सुरेन्द्र कोली को फांसी देने का कार्य सौंपा गया था लेकिन अंतिम समय पर फांसी पर लटका दिया गया। पवन मेरठ के बाहरी इलाके में रहता है और ज्यादा लोगों से मिलता-जुलता नहीं है। उसके परिवार में सात सदस्य शामिल हैं और पवन की इच्छा है कि उनका बेटा इस पेशे में न आए। वह एक सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा है।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari