-टैक्स का 50 परसेंट फाइन लगने के डर से बिल देखे बिना नहीं सीए नहीं कर डाटा फीडिंग

-30 नवंबर तक कराना है ऑडिट, नए रूल्स से व्यापारियों की बढ़ी दिक्कतें

बरेली। जीएसटी ऑडिट की लास्ट

डेट 30 नवंबर होने के बाद भी कारोबारियों की टेंशन कम नहीं हो रही है। नए रूल्स लागू होने के बाद जहां एक कारोबारियों की टेंशन बढ़ी तो वहीं दूसरी तरफ सीए की परेशानियां बढ़ गई हैं। आपको बता दें कि नए रूल्स के तहत गलत सर्टिफिकेट जारी करने पर सीए को टैक्स का 50 परसेंट तक फाइन भरना पड़ सकता है। इसलिए सीए बिना बिल देखे डाटा फीड नहीं कर रहे हैं और न ही सर्टिफिकेट जारी कर रहे हैं। जिससे कारोबारियों की मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं।

गलती सुधारने का ऑप्शन नहीं

जीएसटी के रिर्टन दाखिल करने में अक्सर कारोबारी गलती कर देते हैं। इससे सीए को दिक्कत होती है, क्योंकि वे जीएसटी आर 9 में इस गलती को सही नहीं कर सकते हैं। वजह इसके लिए कोई आप्शन ही नहीं है। वहीं अगर रिर्टन दाखिल करते समय कारोबारी से कोई गलती हो गई तो एनुअली पोजिशन गड़बड़ हो जाती है, क्योंकि परचेज और सेल डिटेल्स में डिफरेंस आ जाता है, जिससे सीए उसका मिलान नहीं कर पाते हैं नतीजन कारोबारी को नोटिस आनी तय है।

शुरूआती गलती पड़ रही भारी

एक्सपर्ट के मुताबिक जीएसटी पोर्टल लांचिंग के टाइम पूरी तरह से अपडेट नहीं हो पाया था। साथ ही इसकी सही जानकारी कारोबारियों को नहीं थी, जिसके कारण बहुत से कारोबारियों ने गलत फोल्डर में टैक्स के डाटा की इंट्री करा दी। इससे एनुअली ऑडिट रिपोर्ट में डिफरेंस आ रहा है।

रिकॉर्ड देने से बच रहे कारोबारी

कारोबारी अपनी पूरी डिटेल्स सीए को देने से बच रहे है लेकिन सीए सभी बिल देखने के बाद ही ऑडिट रिपोर्ट तैयार करते हैं फिर उनको सर्टिफिकेट जारी करते हैं। वहीं अक्सर कारोबारी रिर्टन दाखिल करते टाइम गलती कर देते हैं। क्योंकि सालभर में उन्हें कुल 26 रिर्टन दाखिल करना होता है। जिसके चलते वे किसी न किसी रिर्टन में गलती हो जाती हैं, इसके कारण उस रिर्टन का सही टैक्स इनपुट सीए को नहीं मिल पाता। कारण की वह टैक्स इनपुट लैप्स हो जाता है। जिसके कारण कारोबारी को पेमेंट करना पड़ जाता है।

कारोबारी बदल रहे सीए

नये रूल्स से सीए और कारोबारियों के संबंधों खटास भी आ जा रही है। क्योंकि सीए रूल्स के मुताबिक ही आडिट करने के बाद सर्टिफिकेट जारी कर रहे हैं। जबकि कारोबारी बीच का रास्ता निकालने पर जोर देते हैं। जो अब सख्ती के कारण नहीं बन रही है। नतीजन कारोबारी सीए को ही बदल देते हैं, किंतु उन्हें दूसरे सीए के भी पास राहत नहीं मिल पा रही है। इस तरीके के कई केस भी सामने आ चुके हैं।

लैप्स हो रहा टैक्स इनपुट

कई प्राथमिक गलतियों के कारण भी कारोबारियों के टैक्स के इनपुट

सीए को नहीं मिल पाता है। क्योंकि हर रिर्टन बिल पर जीएसटी नंबर और कारोबारी का हस्ताक्षर अनिवार्य है। इतना ही नहीं उन्हें 180 दिन के अंदर ही बिल का पेमेंट करना होता है। यदि वे ऐसा नहीं कर पाते हैं तो उनका टैक्स का इनपुट लैप्स हो जाता है।

इसलिए सीए को हो रही प्राब्लम

कारोबारियों के ब्लाक्ड क्रेडिट और इनलेजिवल क्रेडिट के मिलान में सीएम को काफी प्राब्लम होती है। रिर्टन में कारोबारी दोनों भरते हैं, लेनिक इनमें ब्लाक्ड क्रेडिट ही टैक्सबुल होता है, जबकि इनलेजिवल क्रे डिट बिजनेस से रिलेटेड टैक्सबल सेल से रिलेक्ट नहीं करते हैं.जिसे सीए जीएसटी आर थ्री बी से मिलाकर कर दोनों को अलग करके टैक्स का इनपुट लेते हैं, जिसमें उन्हें काफी टाइम खर्च करना पड़ता है।

रिवाइज का ऑप्शन दे गवर्नमेंट

2017-18 की ऑडिट में कारोबारियों को सही जानकारी न होने से दिक्कत हुई है। इसके लिए सरकार को रिवाइज का आप्शन देना चाहिए। इससे 90 परसेंट गलती ठीक जाए जाएंगी। हमलोगों की टेंशन कम होगी -अंकुश रस्तोगी सीए

कई कारणों से टैक्स इनपुट देने में कारोबारी सहयोग नहीं कर पाते हैं। जिसके ऑडिट में दिक्कत होती है, लेकिन बिना बिल के कोई डाटा फीड नहीं किया जा रहा है।

-अनुभी अग्रवाल सीए

क्लाइंट पूरी इनपुट देने से बचते हैं। इस कारण दिक्कत हो रही है। कई बार तो चार्ज ज्यादा लग जाने पर वे सीए तक को बदल दे रहे हैं। हालांकि उनके सामने वहां भी यदि प्राब्लम आ रही है।

-अतुल वैभव गर्ग सीए

एक-एक टैक्स के इनपुट कारोबारियों के ही सहयोग से लिए जा रहे हैं। हालांकि उन्हें भी मिसमैच के कारण देने में दिक्कतें होती है,जिसके कारण आडिट में टाइम लग रहा है.-सारांश मेहरोत्रा, जीएसटी एक्सपर्ट

Posted By: Inextlive