मोटी फीस, कोचिंग संचालक बेलगाम, उच्च शिक्षा अधिकारी नाकाम
- सिटी के कोचिंग संचालकों द्वारा वसूली जा रही मोटी फीस को लेकर नहीं है शासन की तरफ से कोई गाइड लाइन
- उच्च शिक्षा अधिकारियों द्वारा नहीं होती है कोई कार्रवाई GORAKHPUR: आज के परिवेश में हर पैरेंट्स का यही सपना होता है कि उनका बेटा डॉक्टर या इंजीनियर बने। इसके लिए वे कोचिंग की मोटी फीस जमा कर अपने बच्चे का दाखिला कराते हैं। हर साल कोचिंग संचालक फीस भी बढ़ाते हैं। लेकिन हजारों व लाखों रुपए फीस वसूलने वाले इन कोचिंग संचालकों के लिए शासन की तरफ से किसी प्रकार का कोई मानक तय नहीं होने से पैरेंट्स को फीस देना मजबूरी बन चुकी है। तमाम पैरेंट्स ने इन पर लगाम लगाने के लिए शासन-प्रशासन से मांग उठाई है लेकिन गाइडलाइन न होने से कोई कार्रवाई नहीं होती। खुलते जा रहे कोचिंग, ढीली कर रहे जेबबता दें, सिटी में पिछले दस वर्षो में इंजीनियरिंग व मेडिकल के क्षेत्र में कोचिंग मंडी एक बड़े पैमाने पर बिजनेस का रूप ले चुकी है। ऐसे में इन कोचिंग का उच्च शिक्षा विभाग की तरफ से रजिस्ट्रेशन भी खूब किया गया है। आलम यह है कि दस साल पहले जहां 145 कोचिंग रजिस्टर्ड थे। वहीं आज की डेट में 1700 से ज्यादा रजिस्ट्रेशन पहुंच चुका है। नंबर ऑफ स्टूडेंट्स के आधार पर होने वाले रजिस्ट्रेशन में अगर कोई कोई रजिस्ट्रेशन की संख्या में खेल करता भी है तो वे 25 हजार अधिकतम शुक्ल अदा कर अनलिमिटेड स्टूडेंट्स का रजिस्ट्रेशन कराकर सारे कार्रवाई से मुक्त हो जाता है। कोचिंग संचालक पर सिर्फ इनकम टैक्स के अलावा किसी प्रकार का कोई अन्य टैक्स देय नहीं होता है। जबकि वहीं स्कूलों पर फीस मनमानी को लेकर आए दिन आवाज उठाने वाले पैरेंट्स की मांग को देखते हुए शासन की तरफ से जहां पहले मंडलीय स्तर शुल्क कमेटी का गठन कर फीस मामले की शिकायत पर कार्रवाई होती थी। वहीं अब जिला शुल्क नियामक समिति का निर्माण कर पैरेंट्स को बड़ी राहत पहुंचाने का कार्य किया गया। लेकिन इन कोचिंग संचालकों के खिलाफ किसी प्रकार की जिला शुल्क नियामक समिति के गठन नहीं होने से इनकी मनमानी लगातार जारी है।
क्रैश और फाउंडेशन कोर्स के नाम पर मनमानीचाहे मेडिकल की तैयारी हो या फिर इंजीनियरिंग की, क्रैश कोर्स और फाउंडेशन कोर्स समेत रेग्युलर कोर्स में अलग-अलग फीस निर्धारित कर पैरेंट्स से खूब वसूली की जाती है। 70-90 हजार रुपए तक जहां मेडिकल की तैयारी होती है। वहीं एक लाख से ज्यादा इंजीनियरिंग की फीस वसूली जाती है।
कोट्स कोचिंग संचालकों के मनमानी फीस वसूली पर लगाम लगाने की सख्त जरूरत है। सिटी में पहले से ज्यादा कोचिंग खुल चुके हैं। ब्रांडेड और नॉन ब्रांडेड कोचिंग की भरमार है। विनीता, पैरेंट मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी कराने वाले कोचिंग की मंडी में फीस मनमानी लगातार जारी है। लाखों रुपए फीस वसूलने वालों पर कार्रवाई नाम की कोई चीज नहीं है। विकास, पैरेंट फैक्ट फिगर इन एरिया में कोचिंग सेंटर्स - मोहद्दीपुर, बशारतपुर, हरिओम नगर, बैंक रोड, रुस्तमपुर, कूड़ाघाट, चारफाटक रोड आदि सिटी में कोचिंग की संख्या - मेडिकल कोचिंग - 1235 - इंजीनियरिंग कोचिंग - 745 - बैंकिंग व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले कोचिंग - 324 - सिविल सर्विसेज कोचिंग - 231 वर्ज कोचिंग अधिनियम के तहत रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया है। लेकिन इनके मनमानी फीस वसूलने पर लगाम लगाने के लिए शासन की तरफ से कोई गाइडलाइन नहीं है। इसलिए इनके मनमाने रैवये पर हम लोग कार्रवाई नहीं कर पाते हैं जबकि इनके लिए नियम होना चाहिए। अश्वनी मिश्रा, क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी