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JAMSHEDPUR: लौहनगरी की सड़कों पर रोज सैकड़ों ओवरलोडेड गाडि़यां दौड़ रही हैं। ये ओवरलोडेड गाडि़यां महज पांच हजार रुपए में किसी के लिए मौत की कहानी लिख देती हैं। ये वह रकम है, जो जुर्माना के तौर पर जमा की जाती हैं। इसके बाद ओवरलोडिंग की गलती माफ हो जाती है। नियम का फेर कहें या सरकार की नाकामी जमशेदपुर समेत प्रदेश में सबसे अधिक दुर्घटना ऐसे ही वाहनों से हो रही हैं। क्योंकि वाहन चालक ओवरलोडिंग के बदले चालान कटवाकर आगे निकल जाते हैं और कहीं न कहीं दुर्घटना का कारण बन जाते हैं। झारखंड, उत्तर प्रदेश और बंगाल की सीमा पर ये खेल धड़ल्ले से चल रहा है। क्योंकि यहां वाहनों को पकड़ने और सीज करने के बजाए चालान का फंडा अपनाया जाता है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की पड़ताल करती रिपोर्ट आपको बताने जा रही है कि जमशेदपुर समेत प्रदेश में किस तरह मौत की कहानी लिख रहे ओवरलोड वाहन

कौन है जिम्मेदार?

प्रदेश में हर साल अधिक संख्या में लोगों की जान ओवरलोड वाहनों से होती है। बड़े वाहनों से होने वाली घटनाओं में हर साल एक हजार से अधिक लोगों की मौत होती है। आंकड़ों की बात करें तो सबसे अधिक घटना ट्रकों से होती है या फिर ओवरलोड बस से। इसके बाद भी सरकार गंभीर नहीं है।

मौत बांटने वाले वाहन

सड़क पर मौत बांटने वाले हैवी वाहन बाकायदा परमिशन लेकर दौड़ रहे हैं। ये परमिशन दो हजार रुपए से शुरू हो जाती है। पुलिस सूत्रों की मानें तो ओवरलोड ट्रको पर जुर्माना की राशि दो हजार रुपए से शुरू हो जाती है। अतिरिक्तभार के हिसाब से जुर्माना की राशि बढ़ती जाती है लेकिन सेटिंग के इस खेल में इसमें भी अमूमन पांच से क्0 हजार रु पए फाइन कर ट्रकों को आगे के लिए परमिशन दे दी जाती है। यही परमिशन प्रदेश में मौत का कारण बनती है। अगर कोई कड़ा नियम बने तो दुर्घटना के ग्राफ में काफी हद तक कमी आ जाएगी, लेकिन इस पर सरकार कभी गंभीरता से काम नहीं करती है।

उलझा रहता है मामला

ऐसे वाहन पर कार्रवाई का मामला तीन विभाग के बीच उलझा रहता है। ट्रैफिक पुलिस ऐसे मामलों में क म हाथ डालती है जबकि डीटीओ भी कार्रवाई करने में पीछे भागते हैं। सीमा शुल्क और वाणिज्य विभाग के साथ अन्य कई जिम्मेदार अधिकारी भी ऐसे मामलों में बड़ी कार्रवाई करने के बजाए जुर्माना लेकर वाहनों को पास करने का काम करते हैं। बड़ी कार्रवाई तब होती है जब सरकार कोई मुहिम चलाती है। प्रदेश में बालू को लेकर कभी कोई मुहिम नहीं चलती है जिससे प्रदेश में सबसे अधिक ओवरलोडेड वाहन मिट्टी बालू के ही होते हैं। इसके बाद अनाज का नंबर आता है।

लौहनगरी के मेन एक्सीडेंट जोन

भुंइयाडीह लिट्टी चौक, जुबिली पार्क गोलचक्कर, आदित्यपुर खरकाई गोलचक्कर, स्टेशन रोड, टाटा-हाता मुख्य मार्ग, बर्मामाइंस सुनसुनिया गेट, गोलमुरी आरडी टाटा गोलचक्कर, कीनन स्टेडियम गोलचक्कर, साकची गरमनाला, जेम्को गोलचक्कर, टयूब कंपनी गेट, मरीन ड्राइव मार्ग से आदित्यपुर टॉल ब्रिज।

हेलमेट जांच और जाम हटाने तक सीमित

शहर की ट्रैफिक व्यवस्था की बात करें तो बिना योजना के ही चल रही है। ट्रैफिक पुलिस का कार्य हेलमेट जांच और जाम हटाने तक सीमित है। कोई व्यवस्थित योजना नहंी होने के कारण दुर्घटनाएं हो रही है। शहर के सभी मार्ग पर पैदल राहगीर, साइकिल, ठेलानुमा दुकान, ऑटो, बाइक, मिनी बस चलते है। सड़क किनारे ही गाडि़यों की पार्किंग होती है। जिससे हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है। शहर में पार्किंग, जमीन, परिवहन और ट्रैफिक व्यवस्था की कमान अलग-अलग हाथों में है। जिनमें तालमेल का अभाव नजर आता है।

एक नजर इधर भी

ओवरलोड वाहनों से होती हैं दुर्घटना : ख्0 परसेंट

मौत देश में प्रतिदिन होती हैं ओवरलोड वाहनों से : 7भ् परसेंट

चलती हैं ओवरलोडेड ट्रक : भ्0 परसेंट

दुर्घटना स्टेयरिंग नियंत्रण फेल होने से : भ्0 परसेंट

ओवरलोडेड वाहनों से खराब होती सड़के : 80 परसेंट

जुर्माना के बाद मिल जाती हैं ओवरलोडेड वाहनों को परमिशन : महज भ् हजार

(नोट : श्रोत एनसीआरबी और झारखंड पुलिस.)

मोटर व्हीकल एक्ट के तहत ओवरलोडेड वाहनों के पकड़े जाने पर सजा का कोई प्रावधान नहीं हैं। फाइन का प्रावधान हैं। इसलिए ओवरलोडेड वाहन के पकड़े जाने पर विभाग फाइन वसूलती है। फाइन नहीं देने पर वाहन का सीजर काटकर चलान कर दिया जाता है। इसके बाद गाड़ी ओनर वाहन को कोर्ट से फाइन देकर छुड़वा सकता है।

- रवि रंजन प्रकाश विक्रम, डीटीओ, ईस्ट सिंहभूम

ओवर लोडेड वाहनों के चलते शहर में आए दिन दुर्घटना में किसी न किसी की मौत होते रहती है। प्रशासन को ओवरलोडेड वाहनों के उपर सख्ती से कारवाई करनी चाहिए। ताकि दुर्घटनाओं के ग्राफ पर लगाम लगाया जा सके।

-सोनू सिंह, जेम्को

शहर में नो इंट्री के वक्त भी ओवरलोडेड भारी वाहन चलते दिखाई पड़ते हैं और ट्रैफिक पुलिस हेलमेट चेकिंग के नाम पर अभियान चलाती रहती है। जबकि सर्वप्रथम सड़क दुर्घटना पर नकेल कसने के लिए ओवरलोडेड वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करना आवश्यक है।

प्रतीक कुमार, टुईलाडुंगरी।

ओवरलोडेड वाहन के कारण आये दिन दुर्घटना में मौत की खबर पढ़ने को मिलती है। विभाग को ओवरलोडेड वाहनों के विरुद्ध कड़ी कारवाई करनी चाहिए। ताकि किसी की जान को बचाया जा सके। साथ ही ओवरलोडेड वाहनों पर फाइन की वजह जेल भेजना चाहिए।

प्रवीण कुमार सिंह, जेम्को।

रात के समय ओवरलोडेड वाहन काफी तेज रफ्तार से सड़कों पर दौड़ते हैं। इस वजह से वाहन कई बार अनियंत्रित होकर सड़क के बीचों-बीच पलट भी जाते हैं। इससे अकसर बड़ी दुर्घटनाएं होने की आशंका बनी रहती है।

-विकास कुमार, ट्यूब गेट

Posted By: Inextlive