गुरूवार को जम्‍मू कश्‍मीर राज्‍य सरकार ने स्‍पष्‍ट कर दिया है कि घाटी में कश्‍मीरी पंडितों और सैनिकों के लिए कोई भी अलग कॉलोनी नहीं बनाई जाएगी। घाटी के सभी अलगाववादी नेता कॉलोनी बनाने के विरोध में एक साथ आ खड़े हो गए थे और सरकार पर दवाब ड़ाल रहे थे। कहा जा रहा है कि इसके चलते ही सरकार ने ये फैसला लिया है। सरकार नई औद्योगिक नीति की भी समीक्षा करेगी।

आंदोलन करेंगे
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अलगाववादियों ने धमकी दी थी कि वो सैनिकों और पंडितों के लिए अलग कॉलोनी बनाएं जाने के विरोध में आंदोलन करेंगे। यहां तक की पिछले कुछ दिनों के दौरान जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के मुखिया यासिन मलिक ने कई हुरियत नेताओं से मिलकर इन प्रस्तावों के खिलाफ रणनीति तैयार की थी। बुधवार को हुर्रियत के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने धमकी दी थी कि अगर यह प्रस्ताव मान लिया जाता है तो वो 2008 की तरह आंदोलन शुरू करेंगे, जब घाटी में 1 महीने तक हालात काफी खराब रहे थे। जम्मू-कश्मीर सरकार के प्रवक्ता और राज्य के शिक्षा मंत्री नईम अख्तर ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा घाटी में कहीं भी कश्मीरी पंडितों के लिए अलग कॉलोनियां बनाने की योजना नहीं है। उन्होंने कहा, "जो भी पंडित वापस आएंगे तो उन्हें बहुसंख्यक समुदाय के साथ ही रहना होगा।"
घाटी में ऐसी कोई जगह नहीं
शिक्षा मंत्री अख्तर ने कहा कि सरकार द्वारा घाटी में कोई भी ऐसी जगह चिह्नित नहीं की गई है जहां कश्मीरों पंडितों के लिए अलग कॉलोनिया बनाई जाए। उन्होंने कहा कि सैनिक कॉलोनी का प्रस्ताव पिछली उमर अब्दुल्ला सरकार द्वारा प्रस्तावित किया गया था।

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Posted By: Ruchi D Sharma