एक बेड पर दो-दो मरीज होने से इंफेक्शन का खतरा

गांधी शताब्दी रेफर करने के लिए नहीं एंबुलेंस की व्यवस्था

देहरादून। दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल की महिला विंग के हालात लगातार खराब हो रहे हैं। हॉस्पिटल में एक बेड में दो मरीजों को रखना पड़ रहा है, इससे इंफेक्शन का खतरा बना हुआ है। जरूरी सुविधाएं न मिलने के कारण अक्सर यहां पेशेंट्स के परिजनों का हंगामा भी खड़ा कर देते हैं, इसके बाद भी हॉस्पिटल में जरूरी व्यवस्थाएं नहीं हो पा रही हैं।

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गांधी शताब्दी के लिए एंबुलेंस नहीं

दून महिला हॉस्पिटल में देहरादून समेत टिहरी, मसूरी, धनोल्टी, चकराता, विकासनगर, डोईवाला, ऋषिकेश और राज्य के दूसरे जिलों से भी गर्भवती महिलाओं को रेफर किया जाता है। हॉस्पिटल में ज्यादा दबाव होने के कारण कई बार एक बेड पर दो-दो मरीज को रखना पड़ता है। हॉस्पिटल का प्रेशर कम करने के इरादे से स्वास्थ्य विभाग ने गर्भवती महिलाओं के लिए गांधी शताब्दी हॉस्पिटल में मैटरनिटी सेंटर शुरू किया गया था। लेकिन, इसके बाद भी महिला हॉस्पिटल की हालात में सुधार नहीं हो पाया है।

फेल हुई एंबुलेंस सेवा

दून महिला हॉस्पिटल में दबाव बढ़ने पर महिलाओं को गांधी शताब्दी हॉस्पिटल ले जाने के लिए एंबुलेंस सेवा शुरू की गई थी। इसके लिए दून महिला हॉस्पिटल में एक एंबुलेंस भी रिजर्व की गई थी। लेकिन शुरू होने के कुछ दिन बाद यह व्यवस्था बंद हो गई।

सर्जिकल वार्ड में दिक्कत

दून महिला हॉस्पिटल के सर्जिकल वार्ड में गर्भवती महिलाओं के लिए रूम हीटर की सुविधा तक नहीं है। सिजेरियन के बाद जच्चा-बच्चा को ठंड में रहना पड़ रहा है। वॉशरूम में दरवाजा न होने के कारण पर्दा लगाया गया है।

बस सेवा नहीं हुई शुरू

दून हॉस्पिटल से गर्भवती महिलाओं और अन्य पेशेंट्स को कोरोनेशन और गांधी शताब्दी हॉस्पिटल ले जाने के लिए बस सेवा शुरू करने की योजना बनाई गई थी। दावा किया गया था कि इस सेवा से दून हॉस्पिटल का प्रेशर कम होगा और पेशेंट्स आसानी से कोरोनेशन या गांधी शताब्दी हॉस्पिटल जा सकेंगे। लेकिन यह बस सेवा शुरू नहीं हो पाई।

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प्रेग्नेंट महिलाओं को गांधी शताब्दी भेजने के लिए एंबुलेंस सेवा शुरू की गई थी, लेकिन ज्यादातर मामलों में पेशेंट्स के अटेंडेंट दूसरे हॉस्पिटल जाने से मना कर देते थे। एंबुलेंस भी हर समय उपलब्ध नहीं हो पाती थी, इसलिए इस सेवा को बंद कर दिया गया।

डॉ। केके टम्टा, एमएस

दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल

सफाई नहीं होती ठीक से

महिला हॉस्पिटल के बेड में बेडशीट तक नहीं होती है। साफ-सफाई भी ठीक से नहीं होती। लोगों को घर से बेडशीट लानी पड़ती है। दूर से आने वालों को बेडशीट बाजार से खरीदनी पडती है।

संदीप कुमार, अटेंडेंट

कई बार शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं होती है। पेशेंट्स के अटेंडेंट के साथ ऐसा बर्ताव किया जाता है, जैसे खैराती हों। गंदे पड़े बेड बीमारी को दावत दे रहें हैं।

राहुल कुमार, खुडबुड़ा

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ब्लड नहीं मिलता

मेरे भाई की पत्‍‌नी के भर्ती के समय लगातार ब्लड के लिए दौड़ाया गया। फिर मुझे ब्लड बैंक से लेकर आना पड़ा। देर रात अगर ब्लड की जरूरत होती है तो नहीं मिल पाता।

- सुनील, अटेंडेंट

यहां पर साफ-सफाई का बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जाता है। बेड के पास कॉकरॉच और कीड़े रेंगते हैं, जो किसी बीमारी को दावत दे रहे हैं। एक बेड में दो-दो पेशेंट हैं,

मोहन, अटेंडेंट

Posted By: Inextlive